मथुरा: मुंबई हमलों के गुनाहगार अजमल कसाब का ड्राईविंग लाइसेंस बना देने वाला मथुरा का एआरटीओ ऑफिस एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार एक मृत शख्स का ड्राईविंग लाइसेंस बना दिया गया है. मामला मीडिया में आया तो अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं.


वीरेंद्र सिंह मसानी नौगांव छाता का रहने वाला था. उसकी मौत 26 नवंबर 2017 में एक सड़क हादसे में हो गई थी. 19 अप्रैल 2018 को उसका ड्राईविंग लाइसेंस बना दिया गया. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि ये लाइसेंस किसने बनवाया है.


चेतराम जादौन निवासी आशा नगर कॉलोनी की भी मौत हो चुकी है लेकिन उसका भी ड्राईविंग लाइसेंस बना दिया गया.


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रिश्वत का है बोलबाला- यूपी के अधिकतर एआरटीओ ऑफिस रिश्वत के मकड़जाल में उलझे हुए हैं. सभी एआरटीओ ऑफिसों के बाहर बैठे दलाल पूरे सिस्टम पर हावी होते हैं. लर्निंग लाइसेंस हो या फिर पक्का लाइसेंस, सभी की सरकारी फीस बेहद कम है लेकिन दलाल इन लोगों से भारी फीस वसूलते हैं. इस 'भारी फीस' में से बड़ा हिस्सा ऑफिस के सरकारी कर्मचारियों का होता है.


यह है सरकारी प्रक्रिया- जब कोई शख्स लाइसेंस बनवाता है तो उसे ऑनलाइन फोटो खिंचाना होता है और खुद एआरटीओ के सामने आना होता है. ऐसे में किसी मृत शख्स का लाइसेंस बन जाना कई तरह के सवाल खड़े करता है.


जांच का आश्वासन- एआरटीओ प्रशासन बबीता वर्मा ने कहा कि उन्हें ऐसे दो मामलों के बारे में मीडिया के माध्यम से पता चला है. इसकी जांच की जाएगी. यह देखा जाएगा कि किस सरकारी कर्मचारी की इसमें मिलीभगत रही है. उन्होंने कहा कि दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.