मथुरा: बृज की ऐतिहासिक होली के लिए इस बार मौसम पूरी तरह माकूल है, रंग भी भरपूर है, उत्साह और उल्लास भी नजर आ रहा है. बस कमी खल रही है तो वो है इस रंगीन होली का मजा लेने वाली भीड़ की. इसका सबसे बड़ा कारण है कोरोना. पड़ोसी जिले आगरा और जयपुर के अलावा राजधानी दिल्ली में कोरोना के केस सामने आने के बाद लोग भीड़ का हिस्सा बनने से बच रहे हैं. ऐसे में बृज की होली के रंगों की सुर्खी भी कमजोर है.


बृज की होली का आनंद हर साल लाखों देशी-विदेशी श्रद्धालू उठाते हैं. इस बार भी बड़ी संख्या में लोग बरसाना की मशहूर लट्ठमार होली का मजा लेने यहां आए हैं, लेकिन वो बात नज़र नहीं आ रही है जो हर साल नज़र आती है. लंबे समय से इस होली का हिस्सा बनते आ रहे लोग भी इस बात पर मुहर लगा रहे हैं.


श्री जी मंदिर की परिक्रमा करने जाने वालों की संख्या बेहद सामान्य है. विदेशी जो आमतौर पर मथुरा और वृंदावन की गलियों की खाक छानते नज़र आते थे, वो भी जैसे गायब हो गए हों. कोरोना की दस्तक के चलते कई देशों की फ्लाइट और वीज़ा रद हुए हैं. इसके चलते भी विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या न के बराबर है. न केवल बरसाना बल्कि वृन्दावन में भी विशेष से आने वाले श्रद्धालु नज़र नहीं आ रहे हैं.


मशहूर बांके बिहारी मंदिर में देशी-विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आयी है. बुधवार को बरसाना में खेली गई लट्ठमार होली के दौरान भी लोग हर साल के मुकाबले कम नज़र आये. दरअसल कोरोना वायरस से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति से कम से कम तीन फुट की दूरी बनाकर रखना जरूरी है, तभी संक्रमण से बचा जा सकता है. इसके अलावा होली के रंगों से परहेज करने की सलाह भी डॉक्टर दे रहे हैं. मगर होली के मौके पर ये सलाह तभी मानी जा सकती है, जब लोग इस त्योहार पर घरों में कैद रहें. ऐसे में लोग होली के समारोहों से बचते नज़र आ रहे हैं.


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