5 महीने में टूटा SP-BSP गठबंधन, अखिलेश ने कहा- स्वागत है, मायावती बोलीं- पारिवारिक रिश्ता कभी खत्म नहीं होगा
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मायावती के बयान पर कहा कि हम उपचुनाव में अकेले लड़ेंगे. अगर समाजवादी पार्टी और बीएसपी के रास्ते अलग हुए तो इसका स्वागत है.
नई दिल्ली: इसी साल 12 जनवरी को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अध्यक्ष मायावती सारे गिले शिकवे भुलाकर गठबंधन का एलान करने एक मंच पर आये तो सबसे बड़ा सवाल था कि यह गठबंधन और रिश्ता कितने दिनों तक चलेगा?
आज दोनों ही सवालों का उत्तर मिल गया है. मायावती ने खुद अगले उपचुनाव के लिए राजनीतिक गठबंधन तोड़ने की घोषणा की और कहा कि अखिलेश यादव और डिंपल यादव से रिश्ते कभी खत्म नहीं होने वाले हैं. साथ ही उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि अगर समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने रुख में बदलाव नहीं लाते हैं तो गठबंधन जारी रखना मुश्किल है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एसपी-बीएसपी गठबंधन को केर-बेर का संबंध बताया था और कहा था कि इनकी एक्सपायरी डेट 23 मई को पक्की है. नतीजे आएंगे तो दोनों एक-दूसरे के कपड़े फाड़ेंगे. 30 अप्रैल को पीएम मोदी ने एसपी-बीएसपी गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटने की भविष्यवाणी की थी. उन्होंने कहा था, ''एसपी-बीएसपी ने एक दूसरे के खिलाफ राजनीति की है आज सूपड़ा साफ होने के डर से भले ही साथ आ गये हों लेकिन ये स्वार्थ का साथ है. इनकी एक्सपायरी डेट 23 को पक्की है. नतीजे आएंगे दोनों एक-दूसरे के कपड़े फाड़ेंगे.''
12 जनवरी को मायावती ने लखनऊ के ताज होटल में अखिलेश यादव की मौजूदगी में कहा था कि आज गुरु चेले (पीएम मोदी और अमित शाह) की नींद उड़ाने वाली प्रेस कांफ्रेंस हो रही है. शायद मायावती को 80 में 60 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद थी. लेकिन जब 23 मई को चुनाव नतीजे आए तो परिणाम बिल्कुल उलट थे.
गठबंधन को मात्र 15 सीटें (एसपी-5 और बीएसपी-10) मिली. राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि दोनों ही पार्टी एक दूसरे का वोट ट्रांसफर करने में असफल रहे और इसका फायदा बीजेपी को मिला. 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को पांच सीटें मिली थी और बीएसपी खाता खोलने में भी नाकामयाब रही थी.
अब मायावती ने हार का ठीकरा अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी पर फोड़ा है. उन्होंने सोमवार को दिल्ली में अपने घर पर बीएसपी नेताओं की बैठक के बाद साफ-साफ कहा कि यादव वोट नहीं मिलने की वजह से हार हुई है. अगर यादव वोट करते तो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और चचरे भाई अक्षय और धर्मेंद्र नहीं हारते. उनके इसी बयान के बाद साफ था कि वे अब आगे गठबंधन फिलहाल तो नहीं करेंगी.
समाजवादी पार्टी नेता उनके बयान पर टिप्पणी करने से बचते दिखे. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से जब आज मायावती के बयान को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम पार्टी से विचार करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि हम उपचुनाव में अकेले लड़ेंगे. अगर समाजवादी पार्टी और बीएसपी के रास्ते अलग हुए तो इसका स्वागत है.
अखिलेश यादव ने मायावती के कल के बयान पर सोमवार को कहा था कि मुझे उनके (मायावती) बयान के बारे में जानकारी नहीं है. हालांकि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव ने कहा था, ''बहुत दुःख हुआ जानकर आज मायावती जी का रूख समाजवादी पार्टी के लिए. शास्त्र में कहा गया है जो सम्मान पचाना नहीं जानता वो अपमान भी नहीं पचा पाता.''
मायावती ने क्या कहा?
मायावती आज एक बार फिर मीडिया के सामने आईं और कहा कि आगे गठबंधन के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं लेकिन समाजवादी पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को बदलना होगा. मायावती ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी अपने बलबूते उपचुनाव लड़ेगी, लेकिन एसपी से गठबंधन बरकरार रहेगा. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से उनके रिश्ते कभी खत्म नहीं होने वाले हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी के साथ यादव वोट भी नहीं टिका रहा. अगर समाजवादी पार्टी प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों के साथ अपने लोगों को मिशनरी बनाने में सफल रहे तो साथ चलने की सोचेंगे. फिलहाल हमने उपचुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है.’’
हाल ही में संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से 9 बीजेपी विधायकों और एसपी, बीएसपी के एक एक विधायक के सांसद बनने के बाद रिक्त होने वाली 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित है. इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीएसपी के अपने बलबूते चुनाव लड़ने का फैसला मायावती की अध्यक्षता में सोमवार को हुयी पार्टी नेताओं की बैठक में किया गया था.