नोएडा: बीएसपी के एक नेता ने बयान दिया कि राहुल गांधी विदेशी हैं इसलिए वे पीएम नहीं बन सकते. उन्होंने कहा कि राहुल अपनी मां जैसे हैं. एबीपी न्यूज़ ने जब यह खबर दिखाई तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बयान देने वाले नेता को बाहर कर दिया. मायावती इन दिनों कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर नरम हैं, उन्होंने इन दलों पर निशाना साधना भी बंद कर दिया है. क्या ये मायावती के प्लान 2019 का हिस्सा है?
जय प्रकाश सिंह नाम के बीएसपी नेता ने राहुल गांधी पर विवादित बयान दिया जिसके बाद सफाई देने के लिए मायावती को खुद मीडिया के सामने आना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान को बीएसपी स्वीकार नहीं कर सकती. उन्होंने जय प्रकाश के बयान को निजी विचार बताया और उन्हें पार्टी के पदों से हटाने का एलान किया.
मायावती पिछले काफी वक्त से बदली-बदली लग रही हैं. वे अब पहले की तरह कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर हमले नहीं कर रही हैं. उनके हालिया बयानों पर नज़र डालें तो वे बीजेपी के खिलाफ तो बोलती नज़र आती हैं लेकिन कांग्रेस या समाजवादी पार्टी के खिलाफ नहीं.
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कर्नाटक में कुमारस्वामी की ताजपोशी के वक्त मायावती और सोनिया गांधी की मुलाकात की तस्वीरें काफी वायरल हुई थीं. इन तस्वीरों में दोनों महिला नेता हंसते, मुस्कुराते नजर आ रही थीं. इससे पहले मार्च में मायावती ने अखिलेश से भी मुलाकात की थी.
एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव नजदीक हैं और बीएसपी भी इन चुनावों में ताल ठोकेगी. हालांकि इन चुनावों में बीएसपी अकेले ही चुनाव लड़ेगी. गुजरात में भी बीएसपी ने अकेले ही चुनाव लड़ा था.
बीएसपी ने कर्नाटक में कुमारस्वामी की पार्टी जनता दल सेक्युलर के साथ मिलकर विधानसभा के चुनावों में शिरकत की थी. समझौते के तहत बसपा ने राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 18 पर चुनाव लड़ा था. पार्टी को इसका फायदा मिला और 1994 के बाद पहली बार उसका विधानसभा में खाता खुला.
वैसे तो बीएसपी की पहचान यूपी से ही है. यूपी में ही पार्टी का सबसे बड़ा वोटबैंक है लेकिन अन्य राज्यों में भी वह काफी वोट हासिल कर लेती है और कई बार कुछ सीटों पर भी कब्जा कर लेती है. यही कारण है कि बीएसपी क्षेत्रीय नहीं राष्ट्रीय पार्टी है.
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यूपी में पिछले तीन लोकसभा उपचुनावों के नतीजों ने मायावती और बीएसपी में एक नई ऊर्जा का संचार किया है. देखा जाए तो वे पार्टी की पुरानी रणनीति पर काम कर रही हैं जो उन्हें कांशीराम ने सिखाई थी. जितनी जिसकी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.
मायावती की कोशिश रहेगी कि इन तीन राज्यों में होने वाले चुनावों में अधिक से अधिक सीटें हासिल की जाएं ताकि कांग्रेस और एसपी पर दबाव बनाया जा सके. लोकसभा चुनाव से पहले अगर महागठबंधन होता है तो वे अपनी पार्टी के लिए अधिक से अधिक सीटें चाहेंगी.
पिछले काफी वक्त से अखिलेश भी ये बयान दे रहे हैं कि वे गठबंधन के लिए कुछ सीटों की कुर्बानी दे सकते हैं. ऐसा तब है जब 2014 में एसपी ने 5 सीटें जीती थीं लेकिन बीएसपी खाता तक नहीं खोल पाई थी.
दरअसल हाल के दिनों में दलित उत्पीड़न के काफी मामले सामने आए हैं. सहारनपुर से लेकर भीमा कोरेगांव तक और ऊना से लेकर कासगंज तक में दलितों ने काफी कुछ झेला है. दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जातियां मिल कर देश को नई सरकार दे सकते हैं.
अब देखना ये होगा कि गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले होगा या बाद में? और गठबंधन की ओर से पीएम उम्मीदवार कौन होगा? लखनऊ में बीएसपी कॉर्डिनेटर्स की बैठक में साफ कहा गया कि कार्यकर्ता 'बहन जी' को पीएम बनाने के लिए मेहनत में जुट जाएं.
पीएम वाले बयान तक तो ठीक था लेकिन नेशनल कॉर्डिनेटर जय प्रकाश जोश जोश में राहुल गांधी पर ऐसी बात कह गए जिसने मायावती को सफाई देने पर मजबूर कर दिया.