नई दिल्ली/लखनऊ:  मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला 1995 से 2003 के बीच का है. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.


आइए जानते हैं कि अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ है:-


1995 से 2003 के दौरान मायावती के आयकर रिटर्न और आमदनी में फर्क होने की वजह से जांच शुरू हुई. ताज कॉरिडोर मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच के एक आदेश को आधार बनाते हुए 2004 में सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच शुरू की.


2007 में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे मायावती के खिलाफ कई सबूत मिले हैं. सीबीआई ने कहा कि मायावती की संपत्ति 2003 तक 50 करोड़ के पार जा चुकी थी. एजेंसी ने 96 प्लॉट, मकान और बगीचों की भी जानकारी कोर्ट को दी. ये संपत्तियां या तो मायावती के नाम पर थीं या उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम पर.


इस बीच मायावती इनकम टैक्स विभाग में कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं. आखिरकार, इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने उन्हें क्लीन चिट दे दी. ट्रिब्यूनल ने माना कि 1995 से 2003 के बीच आय से अधिक बताए जा रहे पैसे मायावती को बतौर उपहार मिले थे. ये उनके समर्थकों ने उन्हें दिया था. अगस्त 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ट्रिब्यूनल के फैसले पर मोहर लगा दी.


मायावती सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर को रद्द करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं. मायावती का दावा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं दिया था. 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि उसने सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश नहीं दिया था. 2004 में उसके आदेश में ऐसी बात नहीं कही गई थी. कोर्ट के नए आदेश के बाद सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर रद्द हो गयी. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सीबीआई अगर चाहे तो अब तक जुटाए गए सबूतों के आधार पर खुद संज्ञान लेते हुए आगे की जांच करे. लेकिन सीबीआई ने मामले को बंद कर दिया.


2014 में कमलेश वर्मा नाम के शख्स ने मायावती के खिलाफ नए सिरे से एफआईआर की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. वर्मा ने कहा कि सीबीआई ने जो सबूत जुटाए थे, उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती. मायावती और सीबीआई ने इस मांग का विरोध किया. दोनों ने कहा कि इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल पूरे मामले में मायावती को क्लीन चिट दे चुका है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस विरोध को दरकिनार करते हुए अप्रैल 2016 में याचिका को विस्तृत सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया. यानी मायावती के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी या नहीं ये सुप्रीम कोर्ट को तय करना है.