नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजपार्टी के बीच दोस्ताना पार्ट-टू शुरू होने वाला है. लेकिन सवाल है कि पार्ट-वन खत्म क्यों हुआ? ये 25 साल पुरानी बात है. इन 25 सालों में दोस्ती तो दूर दोनों के बीच दुश्मनी ऐसी थी कि मायावती, मुलायम सिंह का नाम लेने से भड़क जाती थीं. और मुलायम सिंह, मायावती का नाम लेना पसंद नहीं करते थे. इसकी बानगी तब स्पष्ट तौर पर देखने को मिली थी जब लालू यादव ने बिहार महागठबंधन की तर्ज पर मायावती और मुलायम को साथ आने की सलाह दी. इस सलाह पर मायावती भड़क उठी. उन्होंने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए लालू यादव की सलाह को खारिज कर दिया.


दरअसल, 2 जून 1995 को मीराबाई गेस्टहाउस में मायावती के साथ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ऐसी अभद्रता की. जिसे वो कभी भूल नहीं पायीं. कांशीराम ने मुलायम सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. मायावती, विधायकों के साथ लखनऊ के मीराबाई गेस्टहाउस के कमरा नंबर 1 में थीं. अचानक समाजवादी पार्टी समर्थक गेस्टहाउस में घुस आए. मायावती से अभद्रता की, अपशब्द कहे. खुद को बचाने के लिए मायावती कमरे में बंद हो गईं. ये जख्म वो सालों तक भूल नहीं पाईं. जब-जब दोस्ती की बात आयी तो जख्म हरे हो गये.


लालू की सलाह पर उन्होंने कहा, ''जिस समय मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने मेरे ऊपर जानलेवा हमला करवाया. तो यदि यही हमला लालू यादव की बहन बेटी के ऊपर होता तो मैं समझती हूं कि वो कभी ये सलाह नहीं देता कि मुलायम सिंह यादव के साथ जाना चाहिए.''


ये बात मायावती की है. मुलायम सिंह यादव तो मायावती का नाम भी लेने से बचते रहे. पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि जिसका (मायावती) का नाम आप ले रहे हैं मैं उसका नाम भी नहीं लेता हूं.


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समाजवादी पार्टी के अखिलेश युग में दोनों अब साथ आ रहे हैं. बुआ-बबुआ के स्वागत में लखनऊ की सड़कें पोस्टरों से भरी है. दोनों के फोटो के साथ 'सपा-बसपा आई है. नई क्रांति लाई है' जैसे नारे लिखे हैं. पार्टी में मुलायम और शिवपाल का दबदबा खत्म हो चुका है. शिवपाल अलग पार्टी का गठन कर चुके हैं. अखिलेश और मायावती के सामने बीजेपी की चुनौती है. दोनों ने पिछले पांच सालों में जनाधार खोए हैं. अब गठबंधन के सहारे पुरानी जमीन तैयार करने की कोशिश है.


क्यों हुआ हमला?
मुलायम सिंह ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया. इसके एक साल बाद हुए चुनाव से पहले बीएसपी के साथ एसपी ने रणनीतिक समझौते के तहत गठबंधन किया. मुलायम सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी. दोनों पार्टियों ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी. 1995 तक सरकार चली.


इसी बीच कई मुद्दों पर कांशीराम और मुलायम सिंह के रिश्ते में कड़वाहट आ गई. कांशीराम ही बीएसपी के संस्थापक थे और उनके कहने पर मायावती ने एसपी से अपना गठबंधन तोड़ दिया. इस वजह से मुलायम सिंह यादव की सीएम की कुर्सी छिन गई. जिसके बाद गुस्साए समर्थकों ने मायावती पर हमला कर दिया. इस हमले के बाद कभी सरकारी कार्यक्रम में भी मायावती और मुलायम साथ नजर नहीं आए.