पटना: बिहार विधान सभा में ग्रुप डी के 163 पदों पर बहाली की प्रक्रिया जारी है. इन पदों पर लगभग सात लाख युवाओं ने आवदेन किया है. इस बहाली के तहत ऑफिस अटेंडेंट और चपरासी जैसे पदों पर ग्रेजुएट, मास्टर्स और एमबीए किए हुए छात्रों ने अप्लाई किया है. उच्च डिग्रीधारी छात्रों के इन पदों पर अप्लाई करने के बाद से इस नियुक्ति पर चर्चा शुरू हो गई है. अब बिहार सरकार के मंत्रियों ने इस मसले पर अजीबो-गरीब बयान दिया है.


बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा है कि पहले की तुलना में शिक्षा का स्तर बढ़ गया है लिहाजा युवा किसी भी स्तर की नौकरी करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि युवा समाज में परिवर्तन के लिए नौकरी करने को तैयार हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा, "आज बिहार में शिक्षा का जो लेवल है उसमें पहले की तुलना में काफी तरक्की हुई है. लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है. आज निम्न परिवार के लोग भी अब पढ़ना चाहते हैं.''


कृष्णनंदन वर्मा ने कहा, ''नौकरियों की संख्या सीमित हैं और अधिक लोग शिक्षित हो गए हैं इस कारण असंतुलन की स्थिति है, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा. अब स्कूल-कॉलेज ज्यादा खुल गए हैं और पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. लेकिन जिस रफ्तार से पढ़े-लिखे लोगों की संख्या बढ़ रही है उस रफ्तार से नौकरियों का सृजन नहीं हो पा रहा है. शिक्षा सिर्फ नौकरी के लिए नहीं होती है. शिक्षा से समाज में परिवर्तन होता है.


संसदीय कार्य मंत्री मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, "हर क्षेत्र में नियुक्तियां हो रही है और अगर कोई एमए पास विद्यार्थी फोर्थ ग्रेड का कर्मचारी बनना चाहता है तो यह उसका अधिकार है. संविधान में जो अधिकार है उसके हिसाब से लोगों ने आवेदन किए हैं. छात्र जिस पद पर बहाल होना चाहते हैं अगर उनमें मेरिट होगा तो उनको कौन रोक सकता है.''


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