पुलवामा में शहीद हुआ मेरठ का लाल: शहीद के पिता बोले- बेटे की शहादत पर है गर्व
शहीद अजय कुमार के पिता वीरपाल सिंह ने बताया के उनकी यूनिट के ही एक साथी ने फोन पर बेटे की शहादत की खबर दी. बाद में बेटे की यूनिट के कैप्टन का फोन आया था. उन्होंने बेटे की शहादत की पुष्टि की है. हम बेटे का इंतजार कर रहे हैं और हमें शहादत पर गर्व है.
मेरठ: जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए मेरठ का एक लाल शहीद हो गया है. मेरठ के बसा टीकरी गांव के जाबाज सैनिक अजय कुमार ने देश के लिए अपनी शहादत दी है. अजय कुमार के पिता सेना के रिटायर्ड फौजी है. गांव में बेटे की शहादत की खबर मिलने के बाद से कोहराम मचा हुआ है. मगर इस गांव को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है.
मेरठ-गाजियाबाद जिले की सरहद पर बसे जानी ब्लॉक के गांव बसा टीकरी के वीरपाल सिंह सेना के रिटायर्ड फौजी हैं. उनका सैनिक बेटा अजय कुमार जम्मू कश्मीर में तैनात था. 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद से अजय कुमार की बटालियन आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चला रही थी. आतंकियों के साथ सेना की मुठभेड़ हुई और इस मुठभेड़ में आतंकियों का सामना करते हुए अजय कुमार और उनके 3 साथी शहीद हो गए. सुबह 4 बजे परिजनों को उनकी शहादत की खबर मिली.
शहीद अजय कुमार के पिता वीरपाल सिंह ने बताया के उनकी यूनिट के ही एक साथी ने फोन पर बेटे की शहादत की खबर दी. बाद में बेटे की यूनिट के कैप्टन का फोन आया था. उन्होंने बेटे की शहादत की पुष्टि की है. हम बेटे का इंतजार कर रहे हैं और हमें शहादत पर गर्व है. लेकिन अब आतंकवाद का सत्यानाश होना चाहिए. आखिर कब तक हम अपने जवानों को खोते रहेंगे.
अजय कुमार ने 2011 में सेना की नौकरी ज्वाइन की थी. उनकी पत्नी प्रियंका को जब उनकी शहादत की खबर मिली. उनका रो-रोकर बुरा हाल है. लेकिन देश के लिए कुर्बानी का उनका हौसला देखते ही बनता है. प्रियंका कहती है कि उनके पति के बलिदान का इंसाफ होना चाहिए. उन्हें खून का बदला खून से चाहिए. एक सिर के बदले 20 सिर आने चाहिए. उन्होने कहा कि वह अपने ढाई साल के बेटे को भी बड़ा होन पर फौज में भेजना चाहेंगी. प्रियंका 7 महीने की गर्भवती भी है.
अजय कुमार 1 फरवरी को छुट्टियां पूरी करके वापस जम्मू-काश्मीर गये थे. घर में नये मेहमान की आने की खबर से वह बहुत खुश थे. प्रियंका और अजय कुमार की शादी 4 साल पहले हुई थी. ढाई साल का बेटा अपनी मां को रोता देखता है तो मां रोना बंद करके बेटे को समझाने में जुट जाती है. अजय कुमार के भाई की भी कुछ समय पहले मृत्यु हो गई थी. दोनो बेटों के चले जाने के बाद वीरपालसिंह अकेले पड़ गये है. शहीद अजय कुमार का पार्थिव शरीर 19 फरवरी तक उनके पैतृक गांव पहुंचेगा.