मेरठ: कहावत है 'बिना बैंड बाजा की कैसी बारात', लेकिन कोरोना संकट काल में लागू लॉकडाउन में शादियां तो कई हुईं, लेकिन बैंड बाजा कहीं नजर नहीं आया. बैंड बाजा वालों का भी कहना है, उन्हें कोरोना महामारी के चलते शादी के इस सीजन में एक भी बुकिंग नहीं मिली और जो बुकिंग मिली भी थीं, वो भी कैंसिल हो गईं. हालांकि अनलॉक-1 में शादी के लिए मिली छूट ने बैंड बाजा वालों के मायूस चेहरे पर फिर से खुशी ला दी है. अब इन्हें उम्मीद है कि सरकार इनके लिए भी कुछ सोचेगी.



मेरठ के बैंड बाजा वाले भी कोरोना काल में रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे है. वो महामारी के साथ-साथ आर्थिक संकट से भी घिरे हुए हैं. कामकाज ठप है, तो घर पैसे भी नहीं आ रहे. बता दें बैंड बाजा, लाइट और सहनाई को मिलाकर करीब 2 लाख लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं, लेकिन इस सीजन न तो उन्हें कोई बुकिंग मिली और जो बुकिंग मिली वो भी कोरोना काल में कैंसिल हो गई. इस कारण इन दो-ढाई महीनों में उनकी कुछ भी कमाई नहीं हुई है.



यही वजह है कि शहनाई की गूंज और बैंड बाजे का शोर अब खामोश हो गया है. जो शहनाई और बैंड किसी बारात की शोभा बढ़ाते थे. आज वो धूल फांक रहे हैं और अब इन्हें अपनी रोजी-रोटी का संकट दिख रहा है.


हालांकि, एबीपी न्यूज नेटवर्क ढूंढता हुआ उन शादियों तक भी पहुंचा, जहां बिना बैंड बाजा और सहनाई के शादी हो रही है. ऐसी शादी मेरठ के ब्रह्मपुरी में देखने को मिली, जहां दूल्हे राजा कुछ लोगों के साथ दुल्हन लेने जा रहे थे और इस शादी में बैंड बाजा और सहनाई कुछ नहीं थी. जब दूल्हे से पूछा गया कि  बिना बैंड बाजे के बारात ले जाते कैसा लग रहा, तो उसने जवाब में कहा कि  इस महामारी से बचने के लिए ये करना पड़ रहा है. हमें सिर्फ 20 लोग ही बारात में लेकर जाने की इजाजत नहीं है. ये बारात मेरठ से गाजियाबाद के मोदीनगर जा रही थी. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी खास ध्यान रखा जा रहा था. नियमों का उल्लंघन न हो, इसके लिए  पुलिस भी मौजूद थी.



कोरोना काल से पहले शादी-बारात के दौरान डीजे के शोर से कैसे लोग कान बंद कर लेते थे. बैंड बाजे पर नागिन डांस होता था. बारात की ताकत बैंड बाजे और महंगी सहनाई से लगाई जाती थी, लेकिन इस कोरोना काल ने शादी-बारात के दौरान नजर आने वाले दृश्य भी गायब हो गए हैं, क्योंकि कोरोना से बचने के लिए दो गज की दूरी और मास्क जरूरी हो गया है.



यह भी पढ़ें: