मेरठ: चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एमबीए की छात्रा के साथ कथित तौर पर गैंगरेप के मामले में अब नया मोड़ आ गया है. मेरठ रेंज के आईजी प्रवीण कुमार का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट में छात्रा के साथ रेप की कोई पुष्टि नहीं हुई है. रही बात छात्रा के चोटिल होने की तो उसके शरीर पर जो चोट लगी है, वह सड़क दुर्घटना की वजह से लगी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. वहीं छात्रा के सहपाठियों ने आज मेरठ रेंज के आईजी के दफ्तर का घेराव करते हुए प्रदर्शन किया और सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की.


दरअसल मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी की एमबीए की छात्रा के कथित तौर पर अपहरण के बाद दुष्कर्म का मामला सामने आया था. जिसके बाद मेरठ रेंज के आईजी प्रवीण कुमार से जब एबीपी न्यूज़ नहीं बात की तो उन्होंने बताया कि छात्रा के साथ किसी भी तरह की रेप की पुष्टि नहीं हुई है. छात्रा की मेडिकल जांच में डॉक्टरों ने रेप जैसी कोई बात नहीं की है. इतना ही नहीं छात्रा अपने एक परिचित के साथ बाइक पर सवार होकर जा रही थी बाइक का पहिया एक गड्ढे में आया जिसकी वजह से दोनों गिर गए. जिस वजह से छात्रा को चोट लगी है. उसका उपचार किया जा रहा है. आईजी ने यह भी बताया कि छात्रा और उसका मित्र दोनों ही बालिग हैं और अपनी मर्जी से जा रहे थे. मामले की जांच की जा रही है जल्दी और भी तथ्य सामने आएंगे. इस मामले में एक आरोपी को हिरासत में लिया गया है, उससे पूछताछ की जा रही है.


क्या है छात्रों की मांग


चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी की छात्रा के साथ कथित तौर पर हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले की सूचना जैसे ही यूनिवर्सिटी में पहुंची तो बवाल खड़ा हो गया. छात्रा के सहपाठी और यूनिवर्सिटी के अन्य छात्र शनिवार की सुबह मेरठ रेंज के आईजी कार्यालय के बाहर इकट्ठे हो गए. उनकी मांग थी कि इस मामले में जो भी आरोपी हैं, उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करके उन्हें सजा दिलाई जाए. यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है कि उनकी सहपाठी के साथ चारों आरोपियों ने मिलकर ना केवल दुष्कर्म किया बल्कि बर्बरता भी की साथ ही उसे बुरी तरीके से मारा पीटा गया जिसकी वजह से वह इस समय आईसीयू में भर्ती है और बोलने की स्थिति में नहीं है.


छात्रों का कहना है कि उन्हें जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक छात्रा को अपहरण करने के बाद बुलंदशहर के स्याना थाना इलाके में स्थित चांदपुर गांव में छुपा कर रखा गया था, जब गढ़मुक्तेश्वर पुलिस में छात्रा के परिजनों ने मामला दर्ज करवाया और जब पुलिस ने उसकी तलाश की तब छात्रा को बरामद किया जा सका है.


छात्रों का आरोप है कि पुलिस इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है और छात्रा के साथ दुष्कर्म की बात से इंकार कर रही है. अगर पुलिस यह कह रही है कि छात्रा के चेहरे व शरीर पर जो चोट लगी है, वह सड़क दुर्घटना की वजह से लगी है तो फिर सवाल यह उठता है कि आखिर वे लोग छात्रा को अस्पताल क्यों नहीं ले गए? क्यों उन लोगों ने छात्रा को अस्पताल ले जाने के बजाय अपने घर में रखा? पुलिस ने उसे मोबाइल की लोकेशन के माध्यम से ट्रेस किया है. पुलिस अगर इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती है और इसकी जांच पूरी इमानदारी से नहीं करती है तो सोमवार को चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी बंद रखी जाएगी और सभी छात्र वहां धरना देंगे. हालांकि दोपहर को आईजी और एसएसपी के समझाने के बाद छात्र एक ज्ञापन देकर लौट गए. ज्ञापन में छात्रों ने सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करके उन्हें जल्द सजा देने की मांग की है.


क्या है पूरा मामला


चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के छात्रा परिजनों के साथ गढ़मुक्तेश्वर रहती है. इस मामले में पीड़िता के पिता ने पुलिस को यह बताया था 13 फरवरी को छात्रा मेरठ यूनिवर्सिटी जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन वह शाम तक घर नहीं लौटी, जिसके बाद उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर थाना पुलिस से संपर्क किया और इस मामले की सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने छात्रा के मोबाइल से लोकेशन ट्रेस करके उसे बुलंदशहर के थाना स्याना में स्थित गांव चांदपुर में एक घर से बरामद किया जहां छात्रा घायल अवस्था में पाई गई. छात्रा के पिता ने एफआईआर में दिए बयान में यह आरोप लगाया है कि उनकी बेटी ने उन्हें बताया था कि चार लड़कों ने उसे जबरन गढ़मुक्तेश्वर से उठाया और बुलंदशहर ले आए. यहां पर उसके साथ गलत काम किया और फिर उसे बुरी तरह मारा-पीटा. जिसके बाद उसे कमरे में बंद करके फरार हो गए. पुलिस ने छात्रा के पिता के इस बयान के बाद तुरंत ही एफआईआर दर्ज कर ली. जिसमें आईपीसी की धारा 365, 376डी, 323 और 342 के तहत मामला दर्ज किया गया है.


पुलिस ने बगैर मेडिकल कराए क्यों दर्ज की एफआईआर?


मेरठ रेंज के आईजी प्रवीण कुमार के बयान के बाद अब इस पूरे मामले में सवाल यह खड़ा होता है कि अगर छात्रा के साथ रेप जैसी कोई वारदात हुई ही नहीं है, तो फिर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में जल्दबाजी क्यों दिखाई? आखिर एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल क्यों नहीं कराया? क्यों पुलिस ने छात्रा के बयान दर्ज नहीं किए और उसके पिता द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर ही प्राथमिकी दर्ज कर ली. यह सवाल यूनिवर्सिटी के छात्र उठा रहे हैं, जिनका कहना है कि पुलिस जबरन इस मामले को दबाने में जुटी है और यही कारण है कि वह अब अलग-अलग तरीके के बयान देकर छात्रा और उसके परिजनों को ही झूठा बनाने में लगे हैं. छात्रा के साथ अगर गलत काम नहीं हुआ है तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज क्यों की?


ये भी पढ़ें


कोरोना वायरस से 1,523 लोगों की मौत, विश्वभर में 67 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित

बिहार: पुलिसकर्मी ने नहीं पहचाना तो भड़क गए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, बोले- 'इसे सस्पेंड कीजिए'