मेरठ: उल्देपुर में जातीय हिंसा के बाद दलित छात्र रोहित की हत्या के मामले में इंसाफ की मांग को लेकर आज आयोजित दलित महापंचायत रोक दी गई है. जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर महापंचायत को रोक दिया है और उल्देपुर समेत दलित बाहुल्य गाँवों के बाहर पुलिस-पीएसए तैनात कर दी गई है. आयोजन स्थल कमिश्नरी चौराहे पर पहुँचे बहुत से दलितों को पुलिस ने बल प्रयोग कर वापस कर दिया.

दलित उत्पीड़न के बाद इंसाफ की मांग को लेकर होनी थी महापंचायत

9 अगस्त की सुबह उल्देपुर गांव में छेड़छाड़ की शिकायत लेकर ठाकुरों के दरवाजे पर पहुंचे दलितों पर हमला हुआ. पिटाई के शिकार दलितों में एक छात्र रोहित भी था जो दलित लड़कियों से हुई छेड़छाड़ की घटना का चश्मदीद था. रोहित हमलावरों के निशाने पर रहा और उसकी लाठियों से पीटकर हत्या कर दी गई.

आरोपी ठाकुरों के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद ठाकुरों ने पुलिस के खिलाफ मेरठ के कमिश्नरी चौराहे पर पंचायत की और पुलिस पर दबाब बनाकर मृतक रोहित, उसके पिता और परिवार के 13 लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश, मारपीट और डकैती का मुकदमा दर्ज करा दिया.



पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर दलितों में रोष फैल गया. 20 अगस्त को कमिश्नरी चौराहे पर दलितों ने महापंचायत का आयोजन किया, लेकिन बीजेपी से जुड़े दलित नेताओं ने पुलिस से सांठगांठ करके महापंचायत में लोगों को आने से रोक दिया. पंचायत हुई लेकिन लोगों की संख्या कम होने के कारण 30 अगस्त को फिर से महापंचायत की तारीख तय कर दी गई.

रणनीति बनाकर पुलिस ने रोकी दलित महापंचायत

मेरठ पुलिस ने आज की दलित महापंचायत रोकने के लिए 2 दिन पहले कसरत शुरू की थी. प्रशासन ने बिना ऐलान किये कल ही धारा 144 लागू कर दी. आयोजन से जुड़े सभी दलित नेताओं की धरपकड़ के लिए कई थानों की पुलिस ने रात भर दबिशें दीं और दलित नेताओं के घरों के बाहर पुलिस तैनात कर दी.

इतना ही नहीं, मृतक रोहित के परिवार को भी पुलिस ने हिरासत में लेने की कोशिश की, मगर घर में कोई भी पुरुष नही मिला. आज सुबह से ही बड़ी तादात में उल्देपुर गांव के चारों ओर पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई.

पुलिस ने कमिश्नरी चौराहे के आसपास के इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया. दोपहर बाद कुछ महिलाएं और नौजवान हाथों में रोहित की तस्वीरें लिए पहुँचे लेकिन पुलिस ने मेरठ कॉलेज के बाहर से ही उन्हें वापस कर दिया.



5 हजार दलितों की भीड़ जुटाने की थी तैयारी

एडीएम सिटी मुकेश चंद्र ने बताया कि किसी भी आयोजन के लिए अनुमति नहीं ली गई है इसलिए किसी भी सूरत में महापंचायत नही होने दी जाएगी. खुफिया विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस पंचायत के नाम पर 5 हजार की भीड़ जुटाने की योजना थी जिससे शहर की कानून-व्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता था. भीड़ को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन के अफसरों को तैनात किया गया है. पुलिस से उलझ रहे 6 लोगो को हिरासत में लिया गया है जिन्हें बाद में मुचलके पर छोड़ दिया गया.

कमिश्नरी पहुंचे गए दलित नेता

पुलिस की चौकसी को धता बताकर दलित महापंचायत स्थल पर पहुँचे दलित नेता डॉ सतीश प्रकाश ने बताया कि लोकतंत्र में अपनी बात कहने का सबको अधिकार दिया है. पुलिस ने ठाकुरों को पंचायत करने दी लेकिन अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ दलितों ने आवाज उठानी चाही तो पुलिस-प्रशासन ने धारा 144 की आड़ लेकर रोक दिया. यह गलत है. सरकार दलितों की आवाज को कुचलने के काम कर रही है, लेकिन अभी चुप नही बैठा जाएगा. नए एसएसपी जिले में आये है. 2 दिन इंतजार किया जा रहा है. पुलिस का रवैया नही बदलता तो फिर से सड़क पर उतरेंगे.