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यूपी पुलिस की करामात- जिस मुर्दे की बरसी, उसी को बना डाला हमले का आरोपी
इसे लापरवाही कहें या पुलिस के ऊपर काम के दबाव का असर, मगर पुलिसिया कारगुजरियां कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं. मेरठ पुलिस ने एक बुजुर्ग की बरसी पर उसी के खिलाफ केस दर्ज करके अनोखा रिकॉर्ड कायम किया है.
मेरठ: इसे लापरवाही कहें या पुलिस के ऊपर काम के दबाव का असर, मगर पुलिसिया कारगुजरियां कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं. मेरठ पुलिस ने एक बुजुर्ग की बरसी पर उसी के खिलाफ केस दर्ज करके अनोखा रिकॉर्ड कायम किया है. दरअसल बुजुर्ग की पुत्रवधू ने उसकी बरसी पर हुई वारदात का मुकदमा दर्ज कराया था. कार्रवाई ना होने पर पीड़िता को पता चला कि साल भर पहले मर चुके उसके ससुर के खिलाफ ही पुलिस ने केस दर्ज कर दिया है.
मेरठ के मवाना कस्बे की निवासी राखी गौतम की शादी 8 साल पहले कंकरखेड़ा थानाक्षेत्र के गोविंदपुरी निवासी निरमेश से हुई थी. पति राखी के साथ अक्सर मारपीट करता था जिसके चलते राखी अधिकतर समय अपने मायके में रहती थी. राखी के 2 बच्चे भी है. 29 जून 2017 को राखी के ससुर ईश्वर गौतम की मृत्यु हो गई थी.
आरोप है कि इस साल अपने ससुर की बरसी पर जब वह अपनी ससुराल गई तो उसके पति और ससुरालवालों ने उसके साथ मारपीट की और उसे फांसी लगाकर मार डालने का प्रयास किया. राखी ने इस संबंध में कंकरखेड़ा थाने में तहरीर देकर अपने पति सास और जेठानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की प्रार्थना की थी.
कई दिन पुलिस की चौखट के चक्कर काटने के बाद 12 जुलाई को एसएसपी के दखल से कंकरखेड़ा थाना की पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया. लेकिन पुलिस ने किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. राखी ने जब वकील के जरिए पूरे मामले की डिटेल जानी तो पता चला कि पुलिस ने 1 साल पहले मर चुके उसके ससुर ईश्वर गौतम के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया है. राखी ने इस मामले में एसएसपी अखिलेश कुमार से पुलिस कारगुजारी की शिकायत की है.
राखी की शिकायत की सुनवाई कर रहे दिवस अधिकारी एएसपी सतपाल अंतिल ने बताया के मर चुके व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया जाना बेहद गंभीर मामला है और इसमें पुलिस की लापरवाही साफ दिख रही है. मृतक का नाम केस में कैसे शामिल किया गया, इसकी जांच अलग से कराई जाएगी. फिलहाल राखी के साथ वारदात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
मुर्दों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए बदनाम हुई मेरठ पुलिस
अपराधिक मुकदमों में मुर्दों के खिलाफ केस दर्ज करने का यह पहला मामला नहीं है. थोड़े ही दिन पहले मेरठ की किठौर थाना पुलिस ने एक जानलेवा हमले के मामले में कई साल पहले मर चुके व्यक्ति को चश्मदीद गवाह बना कर उसके बयान दर्ज किए थे. इतना ही नहीं, उल्देपुर गांव में हुई जातीय हिंसा के मामले में मारे गए रोहित के खिलाफ भी पुलिस ने कई दिन बाद केस दर्ज कर लिया था. जिसके बाद पुलिस को ग्रामीणों के विरोध का सामना भी करना पड़ा. दिलचस्प बात यह है कि लगातार हो रही इस तरह की गलतियों के बाद भी पुलिस सीख नहीं ले रही है.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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