मेरठ:  मेरठ में 4 दिन पहले मुस्लिम सहपाठी संग दोस्ती करने पर मेडिकल छात्रा के साथ की शर्मनाक हरकत और मारपीट के मामले में पुलिस ने हाथ बांध लिये हैं. 3 पुलिसकर्मियों के सस्पेंशन और एक होमगार्ड की सेवा समाप्त करने की संस्तुति के बाद पुलिस अफसर चुप हैं. मगर क्या पुलिस ने जिस हद दर्जे की हरकत छात्रा से की, अगर आरोपी आम आदमी होता तो क्या पुलिस अफसर ऐसे ही चुप्पी साधे बैठे होते.

मेडिकल छात्रा और उसके सहपाठी को रविवार के दिन मेरठ के जाग्रति बिहार स्थित घर से पुलिस ने बिना किसी कानून का उल्लंघन किये हिरासत में लिया था. पुलिस को विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने सूचना दी थी कि मुस्लिम छात्र हिंदू छात्रा के साथ लव-जेहाद के तरह रंगरेलियां मनाते रंगेहाथ पकड़ा है. छात्र और छात्रा दोनो फोर्थ इअर में पढ़ते हैं, जाहिर है बालिग है तो फिर बिना किसी शिकायत के पुलिस ने दोनो को कैसे गिरफ्तार कर लिया. निश्चित तौर पर यह गिरफ्तारी अवैध थी. शाम तक दोनों को अवैध हिरासत में थाने बैठाकर रखा गया. अवैध हिरासत में बालिग छात्र-छात्राओं को थाने में रखने पर पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई क्यों नही?

सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक राज कहते है कि पुलिस बिना किसी शिकायत के किसी को न तो गिरफ्तार कर सकती है और न अवैध हिरासत में थाने में रख सकती है. जब मामले में शिकायत ही नहीं थी तो कपल को आखिर किस आधार पर हिरासत में लिया गया. यह कानूनन अपराध है. भारतीय दंड संहिता में इसके लिए केस दर्ज करने के प्रावधान है. पुलिस के खिलाफ भी केस दर्ज होना चाहिए.

छात्रा को थाने ले जाते वक्त पुलिस के हाथों शूट वीडियो में सिपाहियों ने गिरफ्तार की गई छात्रा की वीडियो बनाई, यह आईटी एक्ट के तहत अपराध है. पुलिसकर्मी ने छात्रा की पिटाई की, पुलिसकर्मियों ने छात्रा से गाली-गलौज की और उसके साथ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया. इसके अलावा धर्म के बीच भेद करने वाली टिप्पणियां भी की. पुलिसकर्मियों ने छात्रा के चेहरे से जबरन कपड़ा हटवाकर उसकी पहचान भी सार्वजनिक की. मेरठ के नामचीन वकील संदीप पहल कहते है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज होना आवश्यक है. कई धाराओं में केस बनता है. अफसर पहल करें और ऐसी कार्रवाई करें जो नजीर बने.

महिला अधिकारों की पैरोकार समाजसेवी अतुल शर्मा कहती है कि नैतिकता पढ़ाने का काम पुलिस का नहीं है. बालिगों को लिव-इन में रहने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट देता है. धारा 377 के अनुपालन का हाल ही में आदेश भी आया है. ऐसी स्थिति में पुलिस की यह हरकत बेहद घिनौनी है, पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए. जहां तक हिंदूवादी संगठन की किसी के घर में असंवैधानिक एंट्री का बात है लव-जेहाद या धर्म के नाम पर ऐसे किसी भी संगठन के लिए हमारा संविधान इजाजत नहीं देता. ऐसे संगठनों पर केस दर्ज हो और इन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

एसएसपी अखिलेश कुमार ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं का थाने में हंगामा करते हुए कुछ वीडियो मिले है. हंगामा करने के पीछे कार्यकर्ताओं की मांग थी कि छात्र के खिलाफ कार्रवाई की जाये. वीडियो का परीक्षण कराया जा रहा है और हंगामा करने वालों की शिनाख्त कराई जा रही है. जांच रिपोर्ट आने दीजिए कार्रवाई होगी.