लखनऊ: मॉब लिंचिंग जैसी हिंसा का जवाब देने के लिए नया रास्ता बताया गया है, जिस पर विवाद हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के तौर पर पहचान रखने वाले महमूद प्राचा ने मॉब लिंचिंग को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की है. लखनऊ में महमूद प्राचा ने शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जो कहा वो हैरान करने वाला है. प्राचा के मुताबिक मॉब लिंचिंग के शिकार अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ही होते हैं और हिंसा के जवाब में इन्होंने हिंसा का रास्ता अख्तियार करने की ही सलाह दी है.


महमूद प्राचा ने कहा कि मॉब लिंचिंग के जवाब के लिए लोगों को हथियार रखने चाहिए और हथियार के लिए लाइसेंस हासिल कैसे किया जाए. इसके लिए एक ट्रेनिंग कैंप लगाया जाएगा. हालांकि मौलाना कल्बे जावाद ने कहा कि अगर सरकार मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाती है तो बेहतर होगा. लेकिन महमूद प्राचा के मुताबिक अल्पसंख्यकों और एससी-एसटी समुदाय के लोगों को अपनी रक्षा का पूरा अधिकार है. इन्हें अपने घर की संपत्ति और जेवरात बेचकर भी हथियार खरीदने चाहिए.


सोनभद्र हादसे की मिसाल देकर महमूद प्राचा ने बताया कि अपराधियों के पास तो जुल्म करने के लिए कानूनी और गैरकानूनी हथियार मौजूद हैं लेकिन मज़लूमों के पास जुल्म से बचने के लिए अपनी और अपनी जान व माल की हिफाजत करने के लिए कुछ भी नहीं है. जबकि एससी-एसटी एक और दूसरे रूल्स के तहत यह सरकारों की जिम्मेदारी है कि एससी/एसटी वह दूसरे जरूरतमंदों को हथियार के लिए लाइसेंस मुहैया कराएं.


महमूद प्राचा ने साफ किया कि लाइसेंस वाले हत्यारों का किसी भी हाल में दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा और जो भी ऐसा करने की कोशिश करेगा हम उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे महमूद प्राचा ने बताया कि लखनऊ के अलावा भी पूरे मुल्क में sc-st और अल्पसंख्यक को लीगल एड देने के लिए कानूनी ट्रेनिंग कैंप लगाकर लाइसेंस के फॉर्म भरे जाएंगे.