मेरठ:राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने मेरठ समेत वेस्ट यूपी के छह जिलों में जहरीला पानी देने वाले हैंडपंप और बोरबेल सील करने के आदेश दिए है. वेस्ट यूपी में बहने वाली हिंडन, काली और कृष्णा नदी में भी पारे की मात्रा मानक से अधिक मिली है. बेलगाम औद्योगिकीकरण के चलते भूगर्भ जल में पारा के अलावा आर्सेनिक-नाइट्रेट भी बड़ी तादात में घुल चुका है जिससे पानी पीने लायक नहीं रह गया है.


पारायुक्त पानी पीने से बच्चों में हैपेटाइटिस बी और कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है


उत्तर-प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र के जिले गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में एनजीटी ने विशेष समिति गठित करके सर्वे कराया था. सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है कि इन जिलों के हैंडपंप और बोरवेल के पानी में पारे की मात्रा काफी अधिक है. दोआबा पर्यावरण समिति की ओर से इस बाबत दायर याचिका में पहले ही कहा जा चुका है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में फैले भ्रष्टाचार के चलते प्रदूषण फैला रहे उद्योगों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है और इन छह जिलों के बच्चे पारायुक्त पानी पीने को मजबूर है. पारायुक्त पानी पीने से बच्चों में हैपेटाइटिस बी और कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है.


क्या है पानी की स्वच्छता रिपोर्ट


हाल ही में केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने देशभर में ग्राउंड वाटर की गुणवत्ता के लिए सर्वे कराए है. 20 राज्यों के 276 जिलों में फ्लोराइड, 21 राज्यों के 387 जिलों में नाइट्रेट, 10 राज्यों के 86 जिलों में आर्सेनिक, 24 राज्यों के 297 जिलों में आयरन और 15 राज्यों के 113 जिलों में लेड, क्रेडमियम और क्रोमियम जैसे तत्व पानी में पाए गए हैं. इस रिपोर्ट में मेरठ जिला भी शामिल है. यहां के पानी में नाइट्रेट की मात्रा 45 मिलीग्राम और आर्सेनिक 0.05 मिलीग्राम प्रतिलीटर मानक से अधिक मिला है. इसी तरह प्रति लीटर में लेड की मात्रा मानक से 0.01 मिलीग्राम अधिक है.


जल संरक्षण के लिए क्या है कार्यक्रम


पूरे देश की तरह मेरठ में भी तमाम स्वंयसेवी संगठन पानी के संरक्षण और स्वच्छता के लिए अभियान चला रहे हैं. सरकार से मिलने वाली मदद को लेने के लिए यह अभियान जमीन से ज्यादा कागजों पर चलते हैं. मेरठ के पूर्व कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार ने अपने अस्तित्व खोने के कगार पर खड़ी हिंडन नदी को बचाने के लिए निर्मल हिंडन अभियान शुरू किया. इस अभियान के तहत हिंडन के किनारे के गांवों में जागरूकता और सफाईकार्य किए गए. हिंडन नदी में फैली गंदगी को भी जनसहयोग से साफ करने की कोशिश की गई मगर कमिश्नर के तबादले के बाद से यह अभियान फुस्स पड़ा हुआ है. इस अभियान के तहत हिंडन नदी की स्वच्छता के लिए प्रोजेक्ट भी तैयार हुआ और शासन से इसके लिए फंड भी मांगा गया था.