(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी: सरकार का जनता को उपहार, एलपीजी से 25 फीसदी कम खर्च पर बन सकेगा खाना
इस योजना के तहत राज्य में एक-दो महीने में 10,000 चूल्हों का वितरण शुरू किया जाएगा. फिलहाल मेथेनाल अन्य ईंधन के मुकाबले सस्ता है और इस ईंधन से खाना पकाने की लागत एलपीजी के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत कम है.
लखनऊ: नीति आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सरकार रसोई गैस (एलपीजी) से वंचित क्षेत्रों में मेथेनाल से चलने वाला चूल्हा वितरित करने जा रही है और इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से होगी. इस योजना के तहत राज्य में एक-दो महीने में 10,000 चूल्हों का वितरण शुरू किया जाएगा. फिलहाल मेथेनाल अन्य ईंधन के मुकाबले सस्ता है और इस ईंधन से खाना पकाने की लागत एलपीजी के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत कम है.
नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने कहा, ‘‘हम मेथेनाल से चलने वाले चूल्हे को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के साथ काम कर रहे हैं. जिन क्षेत्रों में एलपीजी (रसोई गैस) नहीं पहुंची है और लोग खाना पकाने के लिए लकड़ी और अन्य जैविक ईंधनों पर निर्भर हैं, हम उन क्षेत्रों में मेथेनाल की आपूर्ति करना चाहते हैं. इसका वितरण सितंबर-अक्तूबर से शुरू हो जाएगा.’’ मेथेनाल को मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस और कोयले से बनाया जाता है और इसे पर्यावरण अनुकूल ईंधन माना जाता है.
मेथेनाल आधारित अर्थव्यवस्था की वकालत करने वाले सारस्वत का कहना है कि मेथेनाल ईंधन लागत प्रभावी है और पांच लोगों के परिवार के लिए इसके जरिए खाना बनाने खर्चा एलपीजी के मुकाबले 25 प्रतिशत कम आएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘अभी इसके चूल्हों का निजी कंपनियों के जरिए आयात किया जा रहा है लेकिन जल्दी ही इसका देश में ही विनिर्माण होगा और तीन कंपनियां इसके लिए तैयार हैं.’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के लिए मेथेनाल असम पेट्रोकेमिकल्स लि. से आएगा और ईंधन की आपूर्ति के लिए वितरण केंद्र बनाये जा रहे हैं.’’ सारस्वत ने कहा, ‘‘ हम उत्तर प्रदेश में इसकी शुरुआत करने जा रहे हैं. यह अभी प्रयोग है. अगर यह सफल होता है तो बाद में दूसरे राज्यों में इस कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा. अगला राज्य छत्तीसगढ़ हो सकता है.’’ सूत्रों के अनुसार प्रारंभ में चूल्हा और ईंधन मुफ्त देने का विचार है लेकिन अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. इस संदर्भ में फैसला उत्तर प्रदेश सरकार को करना है.
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, ‘‘ मेथेनाल का हम वहां भी उपयोग करना चाहते हैं जहां गैस उपलब्ध नहीं है. देश में लगभग 25,000 मेगावाट की स्थापित बिजली क्षमता गैस नहीं होने की वजह से अटकी हुई हैं. इस्राइल के पास ऐसी प्रौद्योगिकी है जिससे बिजलीघरों में ईंधन के रूप में मेथेनाल का उपयोग किया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस्राइल से प्रौद्योगिकी लेने को लेकर बातचीत कर रहे हैं. साथ ही जीएमआर और एस्सार जैसी बिजली उत्पादन कंपनियों से भी बात कर रहे हैं जिनकी गैस आधारित बिजली परियोजनाएं अटकी हुई हैं.’’
मेथेनाल की उपलब्धता के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में सारस्वत ने कहा, ‘‘असम पेट्रोकेमिकल्स लि., गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स (जीएनएफसी) , गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लि., राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लि. और दीपक फर्टिलाइजर्स मेथेनाल बनाती हैं. इनकी स्थापित क्षमता 30 लाख टन सालाना है.’’ उन्होंने बताया कि मेथेनाल उत्पादन के लिये कोल इंडिया की अगुवाई में दानकुनी (पश्चिम बंगाल) में संयंत्र लगाने के निर्णय के साथ संयुक्त उद्यम लगाने की दिशा में प्रयास जारी है.