प्रयागराज: प्यास बुझाने के लिए मजदूरों को न कोरोना का डर, न ही सोशल डिस्टेंसिंग की फिक्र
गर्मी में प्यास बुझाने के लिए मजदूरों को न तो कोरोना का डर है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग की फिक्र है. गुजरात से बिहार जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन जब प्रयागराज पहुंची तो पानी के नल के आगे हजारों की संख्या में श्रमिकों की लाइन लग गई.
प्रयागराज: चार दिन पहले संगम नगरी प्रयागराज में प्यास से बेहाल मजदूरों द्वारा पानी की बोतलें लूटे जाने और बाद में इन प्यासे मजदूरों की लाठी-डंडों से पिटाई किए जाने का वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो से पूरे रेल महकमे में हड़कंप मच गया था, लेकिन चार दिन बाद भी यहां के हालात में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. प्रयागराज में अब भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले मजदूर बूंद-बूंद पानी के लिए जूझते नजर आ रहे हैं.
गर्मी के मौसम में प्यास से बेहाल मजदूर पानी के लिए इतने उतावले हो जा रहे हैं कि वह सोशल डिस्टेंसिंग को भूल जाते हैं और उसकी धज्जियां उड़ाने लगते हैं. ये मजदूर पानी की बोतल हाथों में लेकर इधर-उधर भटकते हैं और इन्हें जहां पानी नजर आता है, वहां ये कोरोना के खतरे को भूलकर जल्द से जल्द पानी हासिल करने की होड़ में जुट जाते हैं.
वायरल वीडियो के चार दिन बाद की ये तस्वीरें गुजरात से बिहार जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन के प्रयागराज पहुंचने की है. तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि ट्रेन में सवार मजदूर रेलवे के अफसरों और पुलिसवालों की मौजूदगी में प्लेटफार्म नंबर 10 पर लगे नल के पास सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बनाए हुए हैं. दर्जनों की संख्या में मजदूर एक दूसरे से सटकर खड़े हुए हैं. उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग की कोई फिक्र नहीं है और वो किसी भी कीमत पर पानी हासिल कर अपनी प्यास बुझाना चाहते हैं.
हालांकि रेलवे ने अब स्टेशनों पर स्काउट और गाइड के साथ ही सिविल डिफेंस के स्वयं सेवकों की भी ड्यूटी पानी पिलाने के काम में लगा दी है, फिर भी रेलवे की लापरवाही साफ तौर पर नजर आती है. इस बारे में अफसरों का कहना है कि सब कुछ ठीक-ठाक है, लेकिन ये वही अफसर हैं जो पानी की लूट और प्यासे मजदूरों की लाठी-डंडों से पिटाई के बाद भी आल इज़ वेल बताते फिर रहे थे.
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