मुलायम-अखिलेश की चुनाव आयोग में सुनवाई की मिनट-टू-मिनट कहानी!
नई दिल्ली: मुलायम परिवार में झगड़े को लेकर आज का दिन बेहद अहम रहा. आज दोनों पक्षों ने एक साथ चुनाव आयोग के सामने अपनी दलील रखीं. आज की सुनवाई के बाद ये करीब करीब तय हो गया कि समाजवादी पार्टी का साइकिल चुनाव चिन्ह जब्त होगा.
चुनाव आयोग में इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनों गुट चिन्ह पर अपना दावा करते रहे जिसके बाद चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अब इस मामले में आगे कोई सुनवाई नहीं होगी और आयोग कभी भी अपना फैसला सुना सकता है.
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सुबह 11बजकर 50 मिनट पर मुलायम सिंह यादव सबसे पहले चुनाव आयोग के दफ्तर पहुचे. उनके साथ में शिवपाल यादव भी थे. मुलायम सिंह यादव की तरफ से आयोग में उनका पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील मोहन प्रशारण बतौर वकील शामिल हुए.
अखिलेश यादव गुट की तरफ से रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल, सुरेंद्र नगर, अभिषेक मिश्र, जावेद अली खान और किरणमयी नंदा पहुंचे. अखिलेश गुट की बात चुनाव आयोग के सामने रखने के लिए जाने माने वकील कपिल सिब्बल मौजूद, राजीव धवन और देवेंद्र उपाध्याय थे.
आयोग में पहुंचने के बाद नरेश अग्रवाल और सुरेंद्र नगर ने झुक कर मुलायम सिंह यादव को प्रणाम किया. मुलायम सिंह यादव ने भी प्रणाम का जवाब दिया. रामगोपाल ने सामूहिक तौर पर सबको नमस्कार किया लेकिन मुलायम सिंह ने उनके नमस्कार का कोई जवाब नहीं दिया.
चुनाव आयोग का माहौल बिल्कुल अदालत की तरह था. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी बीच में बैठे थे. उनके बायीं तरफ चुनाव आयुक्त ओपी रावत और दायीं तरफ चुनाव आयुक्त एके ज्योति बैठे थे. चुनाव आयुक्त के बायीं तरफ मुलायम सिंह यादव का गुट मौजूद था तो बायीं तरफ अखिलेश गुट के नेता बैठे थे.
इस बीच 12 बजे आयोग में जिरह शुरू हुई. सबसे पहले कपिल सिब्बल ने अखिलेश यादव की तरफ से बात रखी. करीब 2 घंटे तक कपिल सिब्बल ने अपनी बात रखी. इसके बाद लंच का टाइम हो गया और सुनवाई एक घंटे के लिए टाल दी गई.
रामगोपाल यादव सभी के साथ लंच करने गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर सांसद नीरज शेखर के यहां पाहूचे. वहीं मुलायम सिंह यादव ने अपने घर जाकर लंच किया. लंच के बाद तीन बजे दोबारा सुनवाई शुरू हुई. इस बार पहले रामगोपाल पहुंचे उसके बाद मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह के वकील ने कहा कि पार्टी में कोई टूट नहीं है पार्टी एक है और उसके मुखिया मुलायम सिंह यादव हैं. जो अधिवेशन बुलाया गया था वो गलत और असंवैधानिक था. उस अधिवेशन में भी मुलायम सिंह को मार्गदर्शक बनाया गया उस नाते भी वो पार्टी में सबसे बड़े हैं. लेकिन वो अधिवेशन असंवैधानिक था ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभी भी मुलायम सिंह यादव हैं.
चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह से पूछा कि अगर आप कहते हैं कि पार्टी में कोई टूट नहीं है तो साइकिल निशान किसे मिलना चाहिए. इस पर मुलायम सिंह के वकील ने कहा ये आयोग तय करे कि चुनाव चिन्ह किसे मिलना चाहिए. मुलायम ने कहा कि पार्टी का निशान हमें मिलना चाहिए इस पर आयोग ने कहा कि इसका मतलब टूट जरूर है. इसके बाद आयोग ने फैसला सुरक्षित रख लिया.