नई दिल्ली: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि राम जन्मभूमि पर सिर्फ मंदिर बनेगा, उसके अलावा कुछ नहीं बनेगा. अब उनके इस बयान पर मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
मुस्लिम संगठनों ने कहा कि भागवत का ये बयान सुप्रीम कोर्ट को चुनौती है. ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि भागवत ने ये बयान देकर कानून अपने हाथ में लिया है.
उन्होंने कहा कि बोर्ड अदालत के फैसले पर यकीन रखता है लेकिन भागवत का ये कहना कि उस जगह पर मंदिर ही बनेगा यह हमें कबूल नहीं होगा. सरकार को इस बात पर एक्शन लेना चाहिए. ये कानून को अपने हाथ में लेने वाली बात है.
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने भी इस पर कहा कि संविधान में सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च अदालत है और उसका आदेश पूरे देश में बराबर लागू होता है. भागवत का ये बयान सुप्रीम कोर्ट को चुनौती है.
बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने भी कहा कि भागवत के बयान से कुछ लेना-देना नहीं है. आरएसएस मामले में पार्टी भी नहीं है, इसलिए उनका बयान कोई अहमियत नहीं रखता. सब कुछ अदालत के निर्णय पर निर्भर करेगा.
क्या कहा था भागवत ने
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि विवादित जगह पर बनेगा तो सिर्फ राम मंदिर और कुछ नहीं. विहिप नेताओं के महासमागम ‘धर्मसंसद’ को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि अयोध्या में राममंदिर ही बनेगा. भागवत ने कहा, ‘‘हम उसका निर्माण करेंगे. यह कोई लोकप्रिय घोषणा नहीं बल्कि हमारी आस्था का मामला है. यह नहीं बदलेगा.’’
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कई सालों की कोशिश और बलिदान के बाद अब यह (राममंदिर का निर्माण) संभव जान पड़ता है. हालांकि वह उल्लेख करना नहीं भूले कि मामला अदालत में है. उन्होंने कहा, ‘‘राममंदिर ही बनाया जाएगा, कुछ और नहीं. यह वहीं ही बनेगा (जिसे भगवान राम का जन्मस्थल माना जाता है.)’’ उन्होंने कहा कि मंदिर उसी भव्यता के साथ बनेगा जैसा पहले था, उसमें उन लोगों के मार्गदर्शन में ‘उन्हीं पत्थरों’ का इस्तेमाल किया जाएगा जो पिछले 25 सालों से रामन्जभूमि आंदोलन के अगुवा रहे हैं.
भागवत ने कहा कि लेकिन उससे पहले जनजागरुकता अनिवार्य है. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपना लक्ष्य हासिल करने के करीब हैं लेकिन इस मोड़ पर पर हमें अधिक चौकस रहने की जरुरत है.’’ राममंदिर का निर्माण, धर्मांतरण पर रोक, गौरक्षा आदि विहिप की तीन दिवसीय संसद में ‘चर्चा’ के अहम मुद्दे हैं. आयोजकों ने कहा कि इस बैठक में जाति एवं लिंग के आधार पर भेदभाव के मुद्दों पर भी चर्चा होगी और उन तौर तरीकों पर गौर किया जाएगा जिससे हिंदू समाज में सौहार्द्र कायम रहे.