मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फपुर में रिमांड होम से जुड़े एक बालिका गृह (हॉस्टल) में लड़कियों से यौन शोषण का मामला सामने आया है. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और कोशिश के सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ. इसी रिपोर्ट को आधार पर जिला प्रशासन ने हॉस्टल के संचालक और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और उन्हें गिरफ्तार किया है. पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए कल हॉस्टल का भी दौरा किया. यौन शोषण के मामले में शहर के कई नामी लोगों के जुड़े होने के आरोप लग रहे हैं.


दरअसल पूरे मामले का खुलासा समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाए जाने वाली संस्थाओं की सोशल ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर के इस बालिका गृह के काम-काज के तरीकों पर कई गंभीर सवाल उठाए गए और यौन शोषण की बात कही गई. रिपोर्ट में इस बालिका गृह का संचालन करने वाले एनजीओ के खिलाफ तत्काल कानूनी प्रक्रिया शुरु करने और गहन छानबीन के साथ करेक्टिव एक्शन लेने की सलाह दी गई. जिसके बाद अलग अलग धाराओं में मामला दर्ज कर पूरी पड़ताल शुरू की गई.


पुलिस को रिमांड होम में काम कर रही महिला और एक अज्ञात शख्स की तलाश है जो लड़कियों को यौन शोषण के लिए मजबूर करता था. पीड़ित लड़कियों ने बंद कमरे में आरोपियों की पहचान बतायी है जिसके आधार पर पुलिस छानबीन कर रही है. जिला प्रशासन और पुलिस नें यहां की सभी लड़कियों को राज्य के दूसरे बालिका गृह में शिफ्ट कर दिया है.


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बालिका गृह में हुई लड़कियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में सुशील मोदी और नीतीश कुमार गंभीर चुप्पी क्यों साधे हुए है? किन-किन मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के यहां नाबालिग लड़कियों को भेजा जाता था, ये खुलासा करने में किसका डर है? इसलिए की सत्ताधारी दलों के दिग्गज नेताओं के नाम सुनने मे आ रहे है.''





यौन उत्पीड़न का ये मामला तूल पकड़ता नज़र आ रहा है. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों भी मुजफ्फरपुर पहुंचे और प्रशासन के साथ बैठक करके पूरे हालात का जायजा लिया.


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