मुरादाबाद: समाज में आज भी भले बेटे और बेटियों को लेकर कई परिवार रुढ़िवादी परम्पराओं का हवाला देते हों लेकिन बदलते दौर में बेटियां हर उस फर्ज को निभा रही हैं जिसको कभी बेटों का एकाधिकार समझा जाता था. मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद का है जहां रामगंगा विहार में रहने वाले विद्युत विभाग के रिटायर्ड जूनियर इंजिनियर यशपाल आर्य की 62 वर्ष की उम्र में ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई. पिता की मौत के बाद उनकी चार बेटियों ने अपने पिता के शव को कंधा देकर शमशान तक पहुंचाया और मुखाग्नि दी.


बेटियों का कहना था कि उनका कोई भाई नहीं है. उनके पापा ने उन्हें इतना पढ़ाया लिखाया और कभी एहसास नहीं होने दिया कि वो किसी से कम हैं. बड़ी बेटी कुसुम पीएचडी करने के बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है. दूसरी बेटी पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है.


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तीसरे नम्बर की पूनम ने भी पीएचडी की है और वह वर्तमान में लखीमपुर खीरी जनपद में अध्यापक है. सबसे छोटी बेटी नीलम पीएचडी के बाद परीक्षाओं की तैयारी कर रही है. चारों बेटियों ने अभी तक शादी नहीं की है.


खबर के मुताबिक यशपाल लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे और चारों बेटियों ने ही उनकी सेवा की. यशपाल बिजली विभाग में एसडीओ थे और बुलंदशहर, अलीगढ़ समेत कई जगहों पर तैनात रह चुके थे. दो साल पहले रिटायर होने के बाद वह बीमार रहने लगे थे.


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इन चारों बेटियों ने मंत्रोच्चारण के बीच श्मशान घाट में अपने पिता को मुखागिन दी. इस दौरान इनके रिश्तेदार और परिचित मौजूद रहे. मुरादाबाद के रामगंगा विहार स्थित मोक्षधाम शमशान घाट पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मुखाग्नि दे कर बेटियों ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी. अंतिम संस्कार वैदिक पुरोहित ऋषिपाल शास्त्री ने कराया.