भूख बर्दाश्त नहीं हुई तो मां-बेटी ने खाया जहर, आधार नहीं होने पर निरस्त हो गया था राशन कार्ड
साल 2018 चल रहा है, जहां एक ओर चांद और मंगल पर कॉलोनी बसाने की बातें हो रही हैं तो वहीं दूसरी ओर लाखों लोग खाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. यूपी के बरेली में एक मां-बेटी भूख से परेशान हो गए तो जहर खा लिया.
बरेली: साल 2018 चल रहा है, जहां एक ओर चांद और मंगल पर कॉलोनी बसाने की बातें हो रही हैं तो वहीं दूसरी ओर लाखों लोग खाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. यूपी के बरेली में एक मां-बेटी भूख से परेशान हो गए तो जहर खा लिया. मां ने जहर का इंतजाम किया और बेटी को खिला दिया, फिर खुद भी खा लिया. दोनों की मौत हो गई.
केंद्र और यूपी की सरकारें विकास के आंकड़े बता रही हैं लेकिन शायद ये विकास आंवला तहसील के अतरछेड़ी गांव में नहीं पहुंचा. इस इलाके से बीजेपी के धर्मेंद्र कश्यप सांसद हैं. इसी इलाके में 60 साल की राजवती अपनी 25 साल की बेटी रानी के साथ रहती थी.
इन लोगों के पास पहले बीपीएल कार्ड था जिसे निरस्त कर दिया गया था क्योंकि इनके पास आधार कार्ड नहीं था. जब तक फाके कर सके किए और फिर मौत को गले लगा लिया. मौत के बाद पहुंची पुलिस ने बताया कि महिला का पति और बेटा गांव से बाहर चले गए थे.
पुलिस ने बताया कि तीन बेटियों में से दो की शादी हो गई थी. राजवती के एक बेटी रेखा ने कहा कि उनकी मां के पास खाने के लिए पैसे नहीं था. रानी थोड़ा मंदबुद्धि थी और राजवती अब काम करने में सक्षम नहीं रह गई थीं.
बरेली के डीएम वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मौत कारण भुखमरी नहीं है. एसडीएम ने जांच की है जिससे पता चला है कि चूल्हा भी जला था और खाना भी मिला था. ऐसे सुबूत मिले हैं जिससे पता चलता है कि मौत भुखमरी से नहीं हुई है. हालांकि आधार कार्ड के कारण राशन कार्ड निरस्त हो गया था लेकिन कोटेदार ने कभी राशन नहीं रोका और राशन मिलता रहा.
एसपी ग्रामीण डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि मृतक महिला के पति ने उन्हें छोड़ दिया था. बेटी बीमार थी. शायद इन्हीं कारणों से परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया है. हालांकि पोस्टमार्टम किया जा रहा है जिससे सही कारण का पता चल सकेगा.