भोपाल: मध्य प्रदेश के विधि-विधाई और जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने सोमवार को कहा कि लोग व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) के नाम से डरते हैं, इसलिए इसके स्थान पर नया नाम आना चाहिए. शर्मा ने कहा, "व्यापम एक ऐसा नाम हो गया है, जो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है. पहले भी नाम बदलने का कदम पूर्व की सरकार ने उठाया था, जो अब भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बन चुका है. इसलिए कोई ऐसा नाम आ जाए, जिससे लोगों को डर नहीं लगे, अभी लोग व्यापम के नाम से डरते हैं."


बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान की सरकार के दौरान व्यापम का नाम बदलकर प्रोफेशन एग्जामिनेश बोर्ड करने की कवायद चली. अब एक बार फिर व्यापम के नाम पर बहस शुरू हो गई है.


उल्लेखनीय है कि राज्य में व्यापम के जरिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाती रही हैं. व्यापम में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया. यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी परीक्षार्थियों को बैठाने का काम करता था. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया.


हाईकोर्ट जबलपुर ने मामले का संज्ञान लिया और उसने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा. नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की.


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सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ़ पी़ शुक्ला, बीजेपी नेता सुधीर शर्मा, व्यापम के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिद्रा जेल जा चुके हैं. इस मामले से जुड़े 50 लोगों की जान भी जा चुकी है. मामले में 2000 से ज्यादा लोगों को जेल जाना पड़ा, 400 से ज्यादा लोग अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.


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