लखनऊ/मुगलसराय: ईस्ट इंडिया कंपनी के जमाने में उत्तर प्रदेश में बने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की कवायद रेलवे की तरफ से शुरू कर दी गई है. सन् 1862 में दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग बनाए जाते समय मुगलसराय रेलवे स्टेशन वजूद में आया था. यह स्टेशन अब एकात्म मानवतावाद के पुरोधा माने जाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के नाम से जाना जाएगा.
नए कलेवर में नजर आएगा मुगलसराय रेलवे स्टेशन
रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और जल्द ही यह ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन अपने नए कलेवर में नजर आएगा.रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पहले ही मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन करने की घोषणा हुई थी.
एमजीएस से बदलकर डीडीयू कर दिया जाएगा मुगलसराय का स्टेशन कोड
उन्होंने बताया कि अब इसे अमली जामा पहनाने का काम शुरू कर दिया गया है. स्टेशन पर पुराने नाम को हटाकर नया नाम लिखने का काम शुरू कर दिया गया है. स्टेशन का नाम बदलने के बाद टिकट की बुकिंग के लिए स्टेशन का कोड एमजीएस से बदलकर डीडीयू कर दिया जाएगा.
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने शासनकाल के दौरान इस स्टेशन का नाम बदलने का प्रयास किया था
अधिकारियों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने शासनकाल के दौरान इस स्टेशन का नाम बदलने का प्रयास किया था. लेकिन सरकार की यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी. अब ऐसे व्यक्ति के शासनकाल में फिर से यह कवायद शुरू हुई है, जिनसे अटल को वर्ष 2002 में कहना पड़ा था, "आपने राजधर्म नहीं निभाया."
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आरएसएस की तरफ से कई बार इस स्टेशन का नाम बदलने की मांग उठती रही है
अब प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के प्रयास से जल्द ही यह स्टेशन नए रूप में सबके सामने आएगा.सन् 1968 में कानपुर से पटना के सफर पर निकले पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मृत शरीर मुगलसराय स्टेशन पर रेलवे यार्ड में पाया गया था. उस समय हालांकि उनकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी. बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरफ से कई बार इस स्टेशन का नाम बदलकर 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन' करने की मांग उठती रही है.