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यूपी चुनाव: साइकिल नहीं मिली तो बाहुबली मुख्तार अंसारी परिवार सहित हाथी पर हुए सवार
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बाहुबली अंसारी बंधु औपचारिक तौर पर मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गये. कई दिनों से सियासी गलियारे में ये चर्चा जोरो पर थी कि मुख्तार अंसारी परिवार हाथी की सवारी करेगा. आज बीएसपी मुखिया मायावती ने इसका औपचारिक ऐलान कर दिया. इसके साथ ही मायावती ने परिवार के तीन लोगों को बीएसपी का टिकट भी थमा दिया. अखिलेश यादव ने अंसारी परिवार को चुनावी टिकट नहीं दिया तो चुनाव से ठीक पहले उन्होंने मायावती का दामन थाम लिया है. 6 महीने पहले ही उन्होंने अपनी पार्टी कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में किया था. शिवपाल यादव उनकों समाजवादी पार्टी में लेकर आए थे। माना जाता है कि उनकी वजह से ही मुलायम परिवार में फूट की नींव पड़ी.
किसको कहां से मिला बीएसपी टिकट?
मुख्तार अंसारी परिवार बीएसपी में शामिल हो गया. इसके साथ ही मायावती ने आज टिकट का भी ऐलान कर दिया. मऊ से मुख्तार अंसारी को, घोसी से मुख्तार के बेटे अब्बास को तो मोहम्मदाबाद से मुख्तार के भाई सिबकतुल्ला अंसारी को टिकट मिला. आपको बता दें कि मऊ से मनोज राय को टिकट दिया गया था तो मोहम्मदाबाद से विनोद राय को टिकट दिया गया था. टिकट अंसारी परिवार में जाने से अब विनोद राय बागी हो गये हैं.
बीएसपी में बगावत के सुर!
मोहम्मदाबाद से बीएसपी प्रत्याशी विनोद राय को टिकट मिली थी. फिलहाल पार्टी ने इस से टिकट वापस ले लिया है. विनोद राय ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए, 'मायावती ने हमको बुलाया था. हमसे कहा कि इस समय स्थिति थोड़ी खराब है. सपा और कांग्रेस के गठबंधन से अल्पसंख्यक वोट उधर जा रहा है. इसलिए हमें उनका जवाब देना है. इस पर हमने बहन जी से कहा कि आपने हमें बुला कर टिकट दिया था. अगर बीएसपी मोहम्मदाबाद सीट पर शिबगतुल्ला को टिकट देती है तो मैं अपने समर्थकों से बात कर उसे हराने के लिए सलाह लूंगा. मैं तो बस चाहता हूं इस किसी गुंडे को क्षेत्र से दूर रखा जाए.' इस सीट पर सिबकतुल्ला अंसारी विधायक हैं.
कौन हैं मुख्तार अंसारी?
बाहुबली मुख्तार अंसारी साल 1996 में बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे. चार बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी पिछले 11 सालों से जेल में बंद है. पहली बार 1996 में बीएसपी की हाथी पर सवार होकर मऊ से विधायक बने बाहुबली मुख्तार दो बार निर्दलीय चुनाव जीते. 2012 में समाजवादी पार्टी की लहर में भी मुख्तार अपनी पार्टी के निशान पर जीत गए. मुख्तार के बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी सबसे पहले राजनीति में आये. बात 1985 की है. लेफ्ट पार्टी की टिकट पर वे लगातार चार बार मोहम्मदाबाद से विधायक बने.
यूपी विधान सभा में अफ़ज़ाल अंसारी लेफ्ट के आख़िरी विधायक थे. बाद में वे समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए और गाजीपुर से सांसद भी बने. अंसारी भाईयों में सबसे बड़े सिबगतुल्लाह अंसारी भी विधायक हैं. पेशे से टीचर सिबगतुल्लाह दो बार विधान सभा चुनाव जीत चुके हैं.
अंसारी बंधुओं का कितना प्रभाव?
बलिया, मऊ, गाजीपुर इसके साथ ही वाराणसी की कुछ सीटों पर अंसारी बंधुओं का दबदबा है. कुल मिलाकर 15 से 20 सीट पर अंसारी बंधुओं की पकड़ मानी जाती है.
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अवधेश कुमार, राजनीतिक विश्लेषकJournalist
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