नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी में मचा घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. सूत्रों के मुताबिक अब पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर झगड़ा बढ़ गया है. अखिलेश और मुलायम दोनों ही गुट समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर कब्ज़ा चाहते हैं. इसे लेकर सोमवार को दोनों ही गुट के चुनाव आयोग से मिलने की खबर है.



समाजवादी पार्टी में छिड़ी वर्चस्व की जंग में नए साल के पहले दिन ही हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. आज जहां एक तरफ सीएम अखिलेश यादव ने अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया तो वहीं दूसरी तरफ एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और महासचिव नरेश अग्रवाल को दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.


मुलायम ने किरणमय नंदा और नरेश अग्रवाल को एसपी से निकाला


समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव ने चेतावनी के बावजूद उनके द्वारा ’असंवैधानिक’ बताए गए एसपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लेने के आरोप में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और महासचिव नरेश अग्रवाल को दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. एसपी के आधिकारिक सूत्रों ने इस कार्यवाही की पुष्टि की है.


एसपी सुप्रीमो मुलायम ने आज जारी एक पत्र में नंदा से कहा है कि आपने लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में पार्टी के असंवैधानिक आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में हिस्सा लिया जो पार्टी के संविधान के मुताबिक ना केवल गैर संवैधानिक है बल्कि पार्टी विरोधी गतिविधियों का परिचायक भी है.


पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से भी बर्खास्त


मुलायम ने पत्र में कहा कि आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन उन्होंने नहीं बुलाया था, ऐसे में पार्टी का एक जिम्मेदार पदाधिकारी होने के बावजूद नंदा ने उसमें हिस्सा लिया. ऐसा करने और लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में नंदा को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से बर्खास्त करने के साथ-साथ उनकी एसपी की प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त की जाती है. मुलायम ने इसी तरह एसपी महासचिव नरेश अग्रवाल को भी निष्कासित कर दिया है. नरेश अग्रवाल आज एसपी के तथा-कथित ‘असंवैधानिक’ राष्ट्रीय अधिवेशन में मंच पर नजर आए थे.


आपको बता दें कि एसपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एसपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. हालांकि मुलायम सिंह ने सम्मेलन शुरू होने के कुछ देर पहले ही उसे असंवैधानिक घोषित करते हुए आगाह किया था कि जो भी पदाधिकारी या कार्यकर्ता इस सम्मेलन में जायेगा उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी.



अखिलेश चुने गए SP अध्यक्ष, शिवपाल और अमर सिंह पर गिरी गाज


उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में सियासी व पारिवारिक झगड़ा शांत होता नजर नहीं आ रहा. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एसपी से पहले निष्कासन और फिर 24 घंटे के भीतर पार्टी में वापसी के अगले ही दिन रविवार को पार्टी के एक विशेष अधिवेशन में उन्हें मुलायम सिंह यादव की जगह एसपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. यह अधिवेशन पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने बुलाया था. उन्हें भी अखिलेश के साथ शुक्रवार को पार्टी से निकाल दिया गया था और फिर शनिवार को निष्कासन तत्काल प्रभावल से रद्द कर दिया गया था.


मुलायम ने हालांकि इस अधिवेशन में शिरकत नहीं की और न ही शिवपाल सिंह यादव इसमें शामिल हुए, बल्कि वरिष्ठ एसपी नेता ने इस अधिवेशन को 'असंवैधानिक' बताया और प्रतिनिधियों को इसमें शामिल नहीं होने की चेतावनी दी थी.


'जो भी अधिवेशन में भाग लेगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई'

मुलायम ने एक जनवरी को लिखे पत्र में कहा कि 'यह पार्टी के संविधान व अनुशासन के विपरीत है और इसका उद्देश्य पार्टी को नुकसान पहुंचाना है.' पत्र में कहा गया कि 'जो भी इस अधिवेशन में भाग लेगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.' मुलायम की ओर से इस आशय का पत्र जारी होने के बावजूद बड़ी संख्या में प्रतिनिधियों ने रामगोपाल की ओर से आयोजित पार्टी के इस विशेष आपात अधिवेशन में शिरकत की.

अधिवेशन में अखिलेश को एसपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पार्टी महासचिव रामगोपाल ने रखा. उन्होंने अधिवेशन में मौजूद लोगों से हाथ उठाकर इसका समर्थन जताने को कहा, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने हाथ उठाकर अपना समर्थन जताया.



मुलायम के 'करीबी' अमर सिंह को किया एसपी से बर्खास्त

पार्टी में दो अन्य प्रस्ताव भी लाए गए, जिनमें से एक मुलायम को एसपी का 'मार्गदर्शक' बनाने का प्रस्ताव था. उन्होंने कहा कि मुलायम को पार्टी का सर्वोच्च नेता माना जाए. तीसरे प्रस्ताव में उन्होंने शिवपाल सिंह यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने और मुलायम के 'करीबी' अमर सिंह को एसपी से बर्खास्त करने की बात कही. अधिवेशन में मौजूद प्रतिनिधियों ने उत्साह के साथ हाथ उठाकर इन प्रस्तावों के प्रति समर्थन जताया.

इसके बाद अधिवेशन को संबोधित करते हुए अखिलेश ने दो टूक कहा कि जो भी पार्टी के खिलाफ साजिश करेगा, वह उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह पार्टी के लिए कोई भी त्याग करने को तैयार हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि नेताजी के साथ उनका रिश्ता कोई खत्म नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा, "मैं नेताजी का सम्मान जितना पहले करता था, उससे कहीं ज्यादा भविष्य में करूंगा. लेकिन नेताजी का बेटा होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है कि उनके और पार्टी के खिलाफ साजिश के खिलाफ मैं खड़ा होऊं." उन्होंने कहा कि पार्टी में मुलायम की भूमिका अहम बनी रहेगी, पर आशंका जताई कि 'कुछ लोग' उन्हें गुमराह कर सकते हैं.


साजिशों से पार्टी का लगातार नुकसान

शिवपाल और अमर सिंह का नाम लिए बगैर अखिलेश ने कहा, "आने वाले तीन-चार महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं, न जाने कौन मिलकर क्या फैसला करवा दे, कौन मिलकर क्या टाइप करवा दे." उन्होंने कहा, "साजिशों से पार्टी का लगातार नुकसान हुआ है. उत्तर प्रदेश की सरकार को किसानों, मजदूरों, अल्पसंख्यक सभी वर्गो का समर्थन प्राप्त है और वे चाहते हैं कि एसपी की सरकार फिर बने. लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते. यदि प्रदेश में दोबारा हमारी सरकार बनती है तो सर्वाधिक प्रसन्नता नेताजी को होगी." उन्होंने विधायकों, नेताओं, कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी वजह से ही पार्टी का मनोबल बना हुआ है.