ऐसा नहीं है कि पहली बार मुलायम सिंह यादव ने ऐसा कोई बयान दिया है. अक्सर वे अपने ऐसे बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं.
2010 में महिला आरक्षण बिल पर मुलायम सिंह ने कहा था कि इसका फायदा उद्योगपतियों और अफसरों के परिवारों की महिलाओं को होगा.
2014 में उन्होंने बलात्कार को लेकर बयान दिया था कि लड़कों से गलतियां हो जाती हैं लेकिन क्या उन्हें फांसी पर चढ़ा देंगे.
2015 में उन्होंने कहा था कि एक महिला के साथ भला चार लोग कैसे रेप कर सकते हैं. रेप एक करता है, आरोप चार पर लगा दिया जाता है.
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पिछले सालों में जब पार्टी में उथल-पुथल चल रही थी और अखिलेश, रामगोपाल, शिवपाल, आजम खान और अमर सिंह सभी अपनी ढपली-अपना राग अलाप रहे थे तब भी मुलायम के बार-बार बदलते बयान देखने को मिले.
कभी वे अखिलेश के पक्ष में दिखाई देते तो कभी शिवपाल के पक्ष में. कभी आजम खान को दुलारते दिखते तो कभी अमर सिंह को. अंतत: वे राष्ट्रीय अध्यक्ष से संरक्षक की भूमिका तक सीमित कर दिए गए.
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इन दिनों वे कभी शिवपाल के साथ उनके मंच पर दिखाई देते हैं और कभी अखिलेश के साथ उनके मंच पर. समाजवादी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता भी नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर मुलायम के दिल में क्या है.
ऐसा माना जाता रहा है कि मुलायम सिंह यादव, नरेंद्र मोदी के खिलाफ रहे हैं. उन्होंने आडवाणी के पक्ष में भी बयान दिया था जिसका अर्थ यही निकाला गया था कि ये बयान मोदी विरोध में दिया गया है लेकिन अब दिन फिर गए हैं.
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