मुंबईः कोरोना संकट की वजह से इस साल मुंबई के गणपति उत्सव में भी रौनक नहीं दिखेगी. जिन कारखानों में गणपति की मूर्तियां बनाई जाती हैं वहां जून के महीने में काफी भीड़ रहती है. तमाम लोग अपने गणपति पंडालों और घर में स्थापित करने वाली गणपति की मूर्तियों की बुकिंग करने के लिए आते थे लेकिन इस साल कोरोना संकट में गणपति कारखानों में सन्नाटा पसरा है.


मूर्तिकार राजेश पवार की माने तो हर साल गणपति उत्सव के चार महीने पहले ही वह मूर्तियों के बनाने, उन्हें कलर करने और उनकी बुकिंग के काम में लग जाते थे. जून के महीने में इस वक्त तक करीब 300 से 400 मूर्तियों की बुकिंग हो जाती थी लेकिन कोरोना संकट की वजह से हालात यह हैं कि अभी तक उनकी सिर्फ चार या पांच मूर्तियों की बुकिंग हुई है.


मूर्तिकार राजेश पवार बताते हैं, "इस वक्त तक उनके कारखाने में करीब 10 कारीगर लगातार मूर्तियों को बनाने और रंगने का काम करते थे लेकिन इस साल उनके पास सिर्फ एक कारीगर है. लेकिन इस उम्मीद के साथ वह गणपति मूर्तियों का कारखाना खोल कर बैठे हैं कि गणपति बप्पा सब का कल्याण करेंगे. अगस्त महीने में गणपति उत्सव आते-आते कोरोना संकट से लोगों को काफी निजात मिलेगी और लोग धूमधाम से छोटी मूर्तियों के साथ घरों में उत्सव मनाएंगे जिससे लोगों का कल्याण होगा और उनकी रोजी-रोटी भी चलेगी."


हालांकि, कोरोना संकट के दौरान गणेश उत्सव को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक किसी भी तरह की गाइडलाइन जारी नहीं की है. लेकिन गणपति मूर्तिकारों और गणपति मंडलों की मानें तो इस बार ज्यादातर बड़ी मूर्तियां स्थापित नहीं की जाएंगी. लोग कोशिश करेंगे कि छोटी मूर्तियों के साथ ही अपने घर पर गणपति बप्पा को लाकर गणेश उत्सव को मनाएं ताकि ज्यादा भीड़भाड़ ना हो सके और कोरोना के कहर को और बढ़ने से बचाया जा सके.


एक तरफ शिवसेना ने की चीन की निंदा, दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की सरकार का चीनी कंपनी के साथ करार