तीन दिन पहले हुई मुंबई पुलिस डीसीपी के ट्रान्सफर ऑर्डर किए गए रद्द, क्या शिवसेना-एनसीपी झगड़े की वजह से हुआ फैसला
सभी अधिकारियों को अगले आदेश तक अपने पुराने ऑफिस में लौटने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन राज्य सरकार के बीच विवाद के कारण, यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि सरकार में सब ठीक नहीं चल रहा.
महाराष्ट्र: मुंबई पुलिस के इतिहास में पहली बार 48 घंटे के भीतर पुलिस कमिश्नर की ओर से किए गए ट्रान्सफर को राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद रद्द किया गया, जिससे ये साफ़ पता चलता है कि महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन की सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा.
2 जुलाई को मुंबई में 10 डीसीपी का तबादला मुंबई में किया गया. ये तबादले केवल तीन दिनों के बाद रद्द कर दिए गए थे, जिसके चलते कई सवाल खड़े हो गए हैं. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि ये तबादले गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को विश्वास में लेकर किए गए थे, लेकिन शिवसेना के नेताओं का दावा है कि ये तबादले बिना मुख्यमंत्री को बताए किए गए, यानी राज्य के प्रमुख को गृह विभाग में हो रहे कामों की जानकारी नहीं दी जा रही. ऐसा कहना है शिवसेना के नेताओं का.
शिवसेना के नेताओं ने कुछ अधिकारियों के नामों को नापसंद किया था. बताया जा रहा है कि शिवसेना के नेताओं का ऐसा मानना है कि बीएमसी चुनाव में अगर शिवसेना को दोबारा जीत हासिल करनी है तो मुंबई में तैनात किए गए पुलिस, प्रशासन के अधिकारी उनकी पसंद के होने चाहिए. जो इन तबदालों में नहीं हुए, इसलिए शिवसेना की तरफ से इन तबदालों का विरोध किया गया और मुख्यमंत्री ने तबादले के ऑर्डर को रद्द करने के आदेश दिए.
शिवसेना के नेताओं ने क्यों की डीसीपी ट्रांसफर रद्द करने की मांग ? शिवसेना विभाग प्रमुख, विधायकों और सांसदों द्वारा इन तबादलों का विरोध किया गया था, क्योंकि उन्हें अपनी पसंद का अधिकारी नहीं मिला था अनिल देसाई, शिशिर शिंदे, पांडुरंग सकपाल ने तबादलों पर नाराजगी व्यक्त की. शिवसेना के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया है कि आईपीएस और आईएएस अधिकारियों को ट्रान्सफर करने से पहले, फ़ाइल को गृह मंत्री और मुख्यमंत्री दोनों के पास जाना चाहिए था. लेकिन इन ट्रान्सफर की जानकारी मुख्यमंत्री को नहीं दी गई.
इसलिए, मुंबई पुलिस आयुक्त के अधिकार क्षेत्र के तहत किए गए तबादलों को मुख्यमंत्री द्वारा रद्द कर दिया गया. हालांकि, पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करके ये तबादले किए और इसके लिए गृह विभाग को भी जानकारी दी. लेकिन शिवसेना और कांग्रेस के नेताओं ने कुछ अधिकारियों के नाम का विरोध किया. जिसके कारण इन तबादलों को रोक दिया गया और सभी अधिकारियों को अपने पुराने स्थानों पर तब तक तैनात रहने का आदेश दिया गया, जब तक कि तबादलों को लेकर एक नया आदेश जारी नहीं किया जाता. इसलिए, तीन दिन पहले किए गए मुंबई पुलिस डीसीपी के तबादलें अब रद्द कर दिए गए.
इन अधिकारियों का हुआ था तबादला
1) परमजीत सिंह दहिया पहले ज़ोन 7 में थे, उन्हें ज़ोन 1 में ट्रान्सफर कर दिया गया था.
2) प्रशांत कदम सौर संरक्षण विभाग में थे, जिन्हें जोन 7 में ट्रान्सफर कर दिया गया था.
3) गणेश शिंदे इससे पहले SB-1 के डिप्टी कमिश्नर थे, जिन्हें पोर्ट ज़ोन में ट्रान्सफर किया गया था.
4) रश्मि करंदीकर को पोर्ट जोन से साइबर डिवीजन में ट्रान्सफर किया गया था.
5) शाहजी उमप को डिटेक्शन से एसबी 1 में ट्रान्सफर किया गया था.
6) डिटेक्शन में मोहन दहिकर जोन 11 से ट्रान्सफर किए गए.
7) विशाल ठाकुर को साइबर सेल से जोन 11 में ट्रान्सफर किया गया था.
8) संग्राम सिंह निशांदार को जोन 1 से मुंबई पुलिस ऑपरेशन का डीसीपी बनाया गया था.
9) प्रणय अशोक को मुंबई पुलिस जोन 5 में ट्रान्सफर किया गया था.
10) नंदकुमार ठाकुर को एलए से हेड क्वार्टर का डीसीपी नियुक्त किया गया था.
इन सभी अधिकारियों को अगले आदेश तक अपने पुराने ऑफिस में लौटने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन राज्य सरकार के बीच विवाद के कारण, यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि सरकार में सब ठीक नहीं चल रहा.
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