वाराणसी: सोमवार सुबह पूर्वांचल के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या बागपत जेल में कर दी गई. इसके साथ ही इस खूंखार क्रिमिनल द्वारा अंजाम दिए गए मर्डर की यादें ताजा हो गईं. मुन्ना बजरंगी ने ही वाराणसी में हत्या के लिए सबसे पहले एके-47 का इस्तेमाल किया था.


उसने 1997 में काशी विद्यापीठ के दो स्टूडेंट्स लीडर्स सुनील राय और राम प्रकाश पाण्डेय की हत्या को अंजाम दिया था. इसके कई साल बाद उसने सुनील राय के भाई और बीजेपी लीडर अनिल राय की भी हत्या कराई थी.


उसके गैंग ने ही रमेश काका के गैंग के साथ मिलकर वाराणसी जेल के डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की सनसनीखेज तरीके से हत्या करा दी थी. इसी शहर में उसने कई व्यपारियों की हत्या रंगदारी वसूलने के लिए करवाई थी.


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एके-47 की तड़तड़ाहट से थर्राया था इलाका


बात 1997 की है, उस समय स्टूडेंट्स यूनियन के चुनावों में स्टूडेंट लीडर्स के बीच मारपीट और गोली चलना आम बात थी. इसी दौरान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के स्टूडेंट्स यूनियन के चुनाव हुए. इन चुनावों में राम प्रकाश पाण्डेय ने जीत हासिल कर स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष के रूप में शपथ ली.



डिप्टी जेलर अनिल त्यागी के कातिल

पाण्डेय को पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील राय का समर्थन प्राप्त था. दोनों एक दिन एक ही गाड़ी में सवार होकर लंका के नारिया इलाके से गुजर रहे थे. इसी समय वह इलाका एके-47 की गोलियों की आवाज से थर्रा उठा. हत्यारे घटना को अंजाम देकर जब मौके से फरार हुए तो छात्रसंघ अध्यक्ष रामप्रकाश पाण्डेय बाबा, पूर्व अध्यक्ष सुनील राय, मुन्ना राय और भोनू मल्लाह मौके पर ही मृत पाए गए.


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इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड में उनके काफिले के साथ मारूति वैन में चल रहा एक अन्य स्टूडेंट लीडर राजू द्विवेदी ही बच पाया था. इस हत्याकांड का खुलासा होने पर पता चला कि इसे मुन्ना बजरंगी की सहयोग से अनुराग सिंह उर्फ़ मोनू सिंह ने अंजाम दिया था.


मोनू ने मुन्ना बजरंगी के सहयोग से अपने भाई अभिलाष सिंह की मौत का बदला लेने साजिश रची थी. मुन्ना बजरंगी ने ही इस घटना के लिए एके-47 और शूटर मुहैया कराए थे. इस घटना के लगभग आठ साल बाद ही बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या को मुन्ना बजरंगी ने मुख्तार अंसारी के इशारे पर एके-47 से तकरीबन 400 राउंड फायरिंग करके अंजाम दिया था.


करवा दी सुनील राय के भाई की भी हत्या


सुनील राय की हत्या होने के पांच साल बाद साल 2002 में एक बार फिर वाराणसी का मलदहिया इलाका इसी तरह के जुर्म का गवाह बना. यहां सुनील राय के भाई बीजेपी नेता और वाराणसी के डिप्टी मेयर अनिल राय की भी उसी अंदाज में एके-47 से हत्या कर दी गई.


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जांच में सामने आया कि अनिल राय हत्याकांड को मुन्ना बजरंगी गिरोह के शूटरों अफरोज बंटी और अनुराग सिंह उर्फ मोनू ने ही अंजाम दिया था. अनुराग सिंह के भाई अभिलाष सिंह की हत्या अनिल राय ने यूपी कॉलेज की स्टूडेंट पॉलिटिक्स के विवाद में कराई थी.



अनिल त्यागी की फाइल फोटो

इसी का बदला लेने के मोनू सिंह ने पहले सुनील राय और फिर मुन्ना बजरंगी के सहयोग से उनके भाई अनिल राय की भी हत्या कर दी थी. इस घटना में भी चार लोग मारे गए थे. मरने वालों में अनिल राय का पुलिस बॉडीगार्ड चन्द्रमा सिंह, प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना राय और यूपी निर्माण निगम के इंजिनियर शैलेन्द्र सिंह शामिल थे.


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यही नहीं साल 2002 में ही मुन्ना बजरंगी ने रंगदारी वसूलने के लिए वाराणसी के दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के केसरी रेस्टोरेंट के मालिक सुरेश साहू समेत दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इसी साल उसने वाराणसी के चेतगंज में स्वर्ण व्यवसायी की भी रंगदारी के लिए दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी.


डांटने के चलते करवाया डिप्टी जेलर का मर्डर


इसके बाद मुन्ना बजरंगी ने साल 2013 में वाराणसी जेल के तेज तर्रार डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की हत्या करवा दी थी. उस समय मुन्ना बजरंगी सुल्तानपुर की जेल में बंद था. उसके गैंग के अधिकतर गुर्गे वाराणसी जेल में बंद थे. इस हत्याकांड में रमेश सिंह उर्फ काका का साथ मिला था.


रमेश काका साल 2012 में वाराणसी जेल से रिहा हुआ था. बताया जाता है कि एक दिन डिप्टी जेलर ने जेल में ही रमेश काका की सबके सामने जेलकर्मियों से पिटाई करवा दी थी. इससे रमेश काका बौखलाया हुआ था. अनिल त्यागी इसी जेल में बंद मुन्ना बजरंगी के गैंग के सदस्यों की भी आँख की किरकिरी बन चुके थे.


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यही नहीं साल 2010 में जब मुन्ना बजरंगी वाराणसी जेल में बंद था तभी तत्कालीन डीएम रविन्द्र और डीआईजी डीके ठाकुर ने वाराणसी जिला जेल का इंस्पेक्शन किया था. इस दौरान उनकी मुन्ना बजरंगी से बहस हो गयी थी. अधिकारियों मुन्ना को बहस करते देख अनिल त्यागी ने मुन्ना बजरंगी को डांट लगा दी थी.


तभी से वह डिप्टी जेलर से खार खाए बैठा था. इस बीच बेटी की शादी के लिए जेल से बाहर आए रमेश काका ने मुन्ना बजरंगी से सम्पर्क साधा और अनिल त्यागी के मर्डर की स्क्रिप्ट तैयार हुई. 23 नवम्बर 2013 को जब अनिल त्यागी अपने रूटीन के मुताबिक़ भोजुबीर इलाके में स्थित जिम में एक्सरसाइज के लिए गए तो उनको वहीं गोलियों से भून दिया गया.


पहले इस मर्डर में रमेश सिंह उर्फ़ काका का ही हाथ माना जा रहा था. लेकिन 2017 में जब धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में चंदन सिंह की गिरफ्तारी हुई तो उसने कबूल दिया कि डिप्टी जेलर के मर्डर के पीछे भी मुन्ना बजरंगी का हाथ था.