नोएडा: 9 जुलाई की सुबह बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई. सुनील राठी नाम के गैंगस्टर ने उसे 10 गोलियां मार कर मौत के घाट उतार दिया. मुन्ना बजरंगी ने हाईकोर्ट में याचिका डाली थी जिसमें उसने अपनी हत्या की आशंका जताई थी. 9 तारीख को ही इस याचिका पर सुनवाई होनी थी. इससे पहले 29 जून में बजरंगी की पत्नी ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इस कॉन्फ्रेंस में भी सीमा सिंह ने अपने पति के कत्ल की आशंका जताई थी. हत्या के बाद कुछ सवाल उठ रहे हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है.


बाद में मारी गईं दो गोलियां?



मुन्ना बजरंगी के शव की दो अलग-अलग तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं. एक तस्वीर में उसके सीने पर गोलियों के दो काले निशान दिखाई दे रहे हैं जबकि दूसरी तस्वीर में कोई निशान नहीं है. ऐसा लग रहा है जैसे कत्ल के बाद फोटो खींची गई और फोटो लेने के बाद दो गोलियां फिर से मारी गईं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक जो दो गोलियां सीने पर मारी गई हैं जो शरीर के पार निकल गई हैं. ये गोलियां शरीर से सटा कर मारी गई हैं. सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया होगा?


जेल में किसने खींची तस्वीर?



बहुत साफ है कि अगर फोटो खींची गई है और वायरल हुई है तो यानि जेल में मोबाइल था. अब ये मोबाइल किसके पास था? तस्वीर किसने खींची? किसने बाहर भेजी? क्या जेल में इंटरनेट भी था? कई सवाल हैं जिनका जवाब जेल प्रशासन के पास नहीं है. हालांकि यूपी की जेलों में मोबाइलों का होना कोई नई बात नहीं है. अक्सर मोबाइल जेल में पकड़े भी जाते हैं और अक्सर जेल की तस्वीरें भी सामने आती रही हैं.


जेल के बाहर किसने बनाया वीडियो?



मुन्ना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जो शाम के धुंधलके का है. इस वीडियो में वो जेल में घुसता दिखाई दे रहा है. चंद सेकेंड के लिए वो बाहर ही रुका दिखाई दे रहा है. उसके पास एक तौलिया भी है. वो अपने साथ आए लोगों से बात कर रहा है. इस वीडियो में उसके चेहरे पर खौफ भी देखा जा सकता है. अब ये वीडियो किसने बनाया ये सवाल भी अभी अनुत्तरित है. ये वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.


जेल में कैसे पहुंचा हथियार?



जेल में पिस्टल और कारतूस कैसे पहुंचे ये सबसे बड़ा सवाल है. बंदियों से मिलने के लिए जब मुलाकाती आते हैं तो वो अपने साथ अमूमन खाने का सामान लाते हैं और उनकी भी बेहद गंभीरता के साथ तलाशी होती है. माना जा रहा है कि जेलकर्मी, होमगार्ड या फिर कोई अधिकारी स्तर का व्यक्ति जेल में हथियार पहुंचाने की साजिश में शामिल हो सकता है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आखिर एक पिस्टल और 10 कारतूस अंदर कैसे पहुंचे.


हाईसिक्योरिटी जेल में कत्ल कैसे हुआ?



बागपत जेल को थ्री लेयर सिक्योरिटी जेल कहा जाता है. मगर हैरानी की बात ये है कि इस अतिसुरक्षित जेल में सीसीटीवी नहीं थे. ना तो जेल के फ्रंट गेट पर सीसीटीवी थे और ना ही तन्हाई बैरक के आस-पास सीसीटीवी थे. जेल में पिस्टल से 10 राउंड फायरिंग हुई जबकि एक पिस्टल में आठ कारतूस आते हैं. यानि राठी ने दोबारा मैगजीन लोड की. ऐसा करने में उसे काफी वक्त लगा होगा, तब तक कोई अफसर मौके पर क्यों नहीं पहुंचा?