झांसी: पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को हाइस्क्यिोरिटी जेल में शिफ्ट किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि वह गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है. मुन्ना झांसी में तकरीबन एक साल से बंद है. इस अपराधी के बारे में विख्यात है कि सुपारी लेकर किसी की हत्या करा देना उसके बाएं हाथ का काम है.


जौनपुर के कसेरूपूरेदयाल गांव का रहने वाला मुन्ना बजरंगी का नेटवर्क मुंबई, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है. उसका अपराध का सफर 1882 से शुरू हुआ जो अभी भी जारी है. 1995 में यूपी एसटीएफ मुठभेड़ में मुन्ना गोली खा गया था लेकिन वह बच गया.


इस बीच मुन्ना से मुख्तार अंसारी ने हाथ मिला लिया. इस गठजोड़ का परिणाम यह निकला कि मुन्ना ने 2005 में मुहम्मदाबाद के बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी. राय की हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में दहशत का दूसरा नाम बन गया.


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अपने नाम के खौफ का इस्तेमाल करते हुए मुन्ना पर कोयला और स्क्रैप व्यापारियों से करोड़ों रुपये की रंगदारी लेने का भी इल्जाम है. 2012 में मड़ियाहू विधानसभा चुनाव से वह चुनाव भी लड़ चुका है. जहां उसे करारी शिकस्त मिली.


मुन्ना की जेल यात्रा


झांसी कारागार अधीक्षक राजीव शुक्ल ने बताया कि प्रेमप्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी जौनपुर, सुल्तानपुर, तिहाड़, मिर्जापुर, झांसी और पीलीभीत जेल में बंद रह चुका है. पिछले दिनों 24 दिनों के लिए झांसी से पीलीभीत भेजा गया था, बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फिर उसे झांसी भेज दिया गया. अब फिर उसके हाईस्क्यिोरिटी जेल भेजे जाने की संभावना है.


26 जून 2017 को उसे झांसी जेल शिफ्ट किया गया था. जेल अधीक्षक ने बताया कि मुन्ना को सिस्मिक हाइपरटेंशन, कॉर्नरी आर्टरी, एंजिना पिक्टोरिस, एक्यूट कॉरनरी सिंड्रोम, कॉर्निक आब्सटरक्टिव प्यूमोनरी, सर्वाइकल स्पान्डलाइटिस, लंवर स्पान्डलाइटिस और डिप्रेशन की गंभीर बीमारी हैं.


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बताते चलें प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद जेलों में निरुद्ध संगीन मामलों के आरोपियों बाहुबलियों को दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया. अब तक तो राजनैतिक दल इस पर सवाल उठा रहे थे लेकिन पिछले दिनों माफिया प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी का मामला प्रदेश शासन के लिए गले की फांस बन गया था.


देश की सर्वोच्च अदालत ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए बजरंगी को अगले आदेशों तक दोबारा झांसी जेल में भेजने के आदेश दिये थे. इसी के चलते मुन्ना को पीलीभीत से 24 दिनों के अंदर ही उसे पुनः झांसी भेज दिया गया था.


झांसी जेल में क्षमता से अधिक कैदी


जेल अधीक्षक राजीव शुक्ल बताते हैं कि जिला जेल में सिर्फ 416 कैदियों के रखने की क्षमता है मगर इस वक्त जनपद कारागार में 1148 कैदी/बंदी हैं. जिनकी संख्या प्रतिदिन घटती बढ़ती रहती है. जेल 52 महिला कैदी /बंदी हैं. जेल की सबसे बड़ी समस्या यहां पर्याप्त पुलिस बल नहीं होना है. कारागार में 60 प्रतिशत पुलिस कर्मियों की कमी है.