लखनऊ: अयोध्या में 25 नवंबर को विहिप की ओर से आयोजित होने वाले राम भक्तों की धर्मसभा के बारे में मुसलमान विद्वानों का मानना है कि यह सिर्फ चुनावी फायदा हासिल करने का जरिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य खालिद राशिद फरंगीमहली ने कहा कि छोटे से बच्चे को भी पता है कि देश का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है ताकि कुछ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव और अगले साल की शुरुआत में होने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा हासिल किया जा सके.


बोर्ड के ही एक अन्य सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि यह तय है कि लोकसभा चुनाव से पहले उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं आएगा. ऐसे में उक्त प्रयास राम मंदिर की आस में वोट देने वालों को साथ में जोड़े रखने का है. जिलानी ने कहा कि मकसद राजनीतिक है और इसमें कोई शक नहीं है कि 2019 के लोकसभा चुनाव की जमीन तैयार की जा रही है.


दोनों ही नेता हालांकि महसूस करते हैं कि सरकार और प्रशासन को ना सिर्फ मुसलमान बल्कि अयोध्या के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. विशेषकर 1992 में जो कुछ हुआ, उसे देखते हुए सुरक्षा इंतजाम करने चाहिए. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुडे इकबाल अंसारी, हाजी महबूब और मोहम्मद उमर ने हाल ही में कहा था कि मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए.


अंसारी ने कहा कि विहिप और शिवसेना अयोध्या में बड़ी संख्या में अपने कार्यकर्ता एकत्र कर रहे हैं, इसलिए यहां का मुसलमान समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है. हम अयोध्या से बाहर भी जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि मुसलमानों की जान माल की हिफाजत के लिए विशेष बल की तैनाती की जाए.


फैजाबाद के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार सिंह ने आश्वासन दिया कि मुसलमान समुदाय को पूरी सुरक्षा मिलेगी. उन्होंने कहा कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है. हम प्रस्तावित कार्यक्रमों के दौरान मजबूत सुरक्षा व्यवस्था कर रहे हैं. इस बीच अयोध्या में धर्म संसद की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. विहिप को एक लाख से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 24 नवंबर को अयोध्या पहुंच रहे हैं.