नई दिल्ली: शरीयत और शरिया अदालत का मुद्दा इन दिनों सुर्ख़ियो में है. मुस्लिम धर्म में ही एक तबका शरिया अदालत के विरोध में है तो एक तबका समर्थन कर रहा है. लेकिन खास बात ये है की मुस्लिम समाज की पढ़ी लिखी महिलाओं ने ही अब शरीयत के नाम पर महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है.


2 मुस्लिम महिलाएं पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लड़ रही हैं लड़ाई
दुनियाभर में बरेली शरीफ दरगाह आला हजरत के नाम से बरेली की एक अलग ही पहचान है. इस्लाम को मानने वाले करोड़ो लोग आला हजऱत के मुरीद हैं. उसी आला हजरत की नगरी से 2 मुस्लिम महिलाओं ने इन दिनों धर्म के ठेकेदारों की नाक में नकेल कसने का काम किया है.


एक देश एक कानून बने- निदा खान
आला हजरत खानदान की तलाक़शुदा बहू निदा खान अब "एक देश, एक कानून" की वकालत कर रही है. वो चाहती है कि जब दुनियाभर में "एक देश, एक कानून" चलता है. तमाम मुस्लिम देशों में भी शरीयत कानून को नही माना जाता. यहां तक हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी 3 तलाक़, और हलाला पर पाबंदी है. तो भारत में ऐसा क्यों नहीं?


फतवों पर लगे पाबंदी, फतवे देने वाले ही नहीं मानते फतवे
इसके साथ ही उन्होंने फतवों पर भी पाबंदी लगाने की मांग की है. निदा का कहना है कि जो लोग फतवे जारी करते हैं वही इन फतवों को नही मानते. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2005 में कोर्ट ने फतवों पर पाबंदी लगा दी थी तो इन फतवों का क्या वजूद है.


महिला काजी होने से पीड़ित महिलाओं को मिल सकेगा न्याय
निदा ने महिला काज़ी की मांग करते हुए कहा कि जब भी महिलाएं शहर काजी के पास जाती हैं तो वहां कभी भी उनके हक़ की बात नहीं होती क्योंकि वहां का शहर क़ाज़ी मर्द होता है. लेकिन जब महिला काज़ी भी होगी तो मुस्लिम महिलाओं को उनका हक़ मिल सकेगा. क्योंकि एक महिला ही महिला के दर्द को समझ सकती है.


हर जिले में बने शरिया अदालत, शरिया अदालत में हो महिला काजी
फरहत नक़वी ने भी कहा कि शरिया अदालत का हर जिले में गठन होना चाहिए और उसमें महिला काजी होना चाहिए. महिला काजी होने से महिलाओं का उत्पीड़न रुकेगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार 2019 में 3 तलाक़ पर कानून नही लाई तो मुस्लिम महिलाओं की आस टूट जाएगी जिसका खामियाजा बीजेपी को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा. फ़रहत नक़वी केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन है और वो मेरा हक़ फाउंडेशन नाम से एक संस्था चलाती है. जिसमें 3 तलाक़, हलाला, और बहू विवाह से पीड़ित महिलाओं के लिए वो लड़ाई लड़ती हैं.