बरेली:तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मुस्लिम महिलाएं हलाला जैसी कुप्रथा और बहुविवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हो रही हैं.  बरेली में तीन तलाक़ पीड़ित महिलाओं के हक़ के लिए लड़ाई लड़ रहा 'मेरा हक़ फाउंडेशन' अब हलाला और बहुविवाह के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा.


100 रुपये में हलाला और फिर निकाह के बाद तलाक़


हलाला की रश्म बिना सोचे समझे बगैर किसी गलती के अपनी पत्नी को तलाक़ देने वाले पुरुषों को सज़ा देने के लिए बनाई गई थी. मगर समय गुजरने के साथ ये रस्म औरतों के लिए परेशानी बन गई. पुरुषों के लिए जो रस्म सज़ा के लिए बनाई गई थी वो रस्म अब उनके लिए मज़ा बन गई है. और पुरुष उस रस्म का फायदा उठाकर अपनी पत्नी को तलाक़ दे देते है. बरेली में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां बारादरी थाना क्षेत्र में रहने वाली तारा बी की शादी 5 साल पहले उनके चचेरे भाई अकबर से हुई थी.


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शादी के साल भर बाद जिस वक्त तारा बी गर्भ से थी उसी दौरान उन्हें तीन तलाक़ देकर घर से निकाल दिया गया. तारा बी ने जब अदालत में मुकदमा दायर किया तो दबाब में उसका पति फिर से उसे रखने को राजी हो गया. इस्लाम के मुताबिक अब तारा बी को हलाला की रश्म से गुजरना था, जिसके लिए उसका पति 100 रुपए में एक युवक को लेकर आया और फिर उससे हलाला करवाया. हलाला के बाद उसके पति ने फिर से तारा से निकाह कर लिया. लेकिन कुछ समय बाद फिर से उसे तलाक़ दे दिया गया. तारा बी अब परेशान है. लेकिन वो अब इस कुप्रथा के खिलाफ लड़ना चाहती हैं.


बेटी की मौत वाले दिन पति ने की दूसरी शादी


परतापुर की रहने वाली रुहिना खातून की शादी शाहजहांपुर के असफाक हुसैन से 2010 में हुई थी. शादी के बाद उसकी दो बेटियां हुई. बड़ी बेटी 7 साल की है छोटी को कैंसर था जिसकी मौत हो गई. दोनों बेटियां होने से नाराज पति अशफाक ने दूसरी शादी कर ली. अशफाक ने मानवता की सारी हदें पार करते हुए उस दिन दूसरी शादी की जिस दिन उसकी बेटी की मौत हुई. रुहीना भी अब बहुविवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ खड़ी हो गई हैं.


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बहुविवाह की शिकार हुई तहज़ीब खातून


तारा बी और रुहिना खातून की तरह की सैलानी की रहने वाली तहजीब खातून भी परेशान हैं. उनके पति ने भी दूसरी शादी कर ली है. तहजीब खातून की शादी 2003 में आरिफ के साथ हुई थी. जिसके बाद उसके दो बेटे भी हुए लेकिन उसके बावजूद आरिफ ने पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी कर ली. आरिफ अब दूसरी पत्नी के साथ रहता है. तहजीब खातून अपने दोनों बेटों के साथ अलग रहती हैं और सिलाई करके अपना और अपने दोनों बेटों का पेट पालती हैं. तहजीब भी चाहती है कि सरकार बहुविवाह और हलाला पर पाबंदी लगाए.


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मेरा हक़ फाउंडेशन लड़ रहा है बहुविवाह और हलाला के खिलाफ लड़ाई


हलाला और बहू विवाह के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जबाब मांगने के बाद मुस्लिम समाज मे इन दोनों रस्मों पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है. मेरा हक़ फाउंडेशन की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी की बहन फरहत नक़वी ने पहले से ही तीन तलाक़ पीड़ित महिलाओं की लड़ाई लड़ रही हैं और अब वो सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत कर रही हैं, और इन दोनों रस्मों की शिकार महिलाओं की मदद कर रही है. बता दें कि फरहत नक़वी खुद तीन तलाक़ की शिकार हैं और अब वो अपनी एक बेटी के साथ अपने मायके में रहकर अपनी मेरा हक़ फाउंडेशन संस्था चलाती हैं.


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सती प्रथा की तरह पाबंदी लगे हलाला और बहुविवाह पर


जिस तरह से सती प्रथा पर रोक लगी उसी तरह इन दोनों प्रथाओं बहुविवाह और हलाला पर भी रोक लगनी चाहिए ताकि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक़ मिल सके.