नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया ने बुधवार को कहा कि एक समय में मुसलमानों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि अगर यह साबित हो जाता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया था, तो वे संपत्ति पर अपना दावा वापस ले लेंगे.
मंदिर को तोड़कर बनाया गया था मस्जिद ?
वीएचपी के पूर्व अध्यक्ष ने एक बयान में कहा, "राम जन्मभूमि के मामले में...एक समय में मुसलमानों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि अगर यह साबित हो जाता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया था, तो वे संपत्ति पर अपना दावा वापस ले लेंगे." उन्होंने कहा, "मुसलमानों की इस प्रतिबद्धता का उल्लेख तत्कालीन सरकार द्वारा जारी श्वेत-पत्र में भी है. तो क्या, उनके साथ ताजा वार्ता करने की अब जरूरत नहीं है?"
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पूरी जांच-पड़ताल के बाद कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि बाबरी मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था, जिसे ध्वस्त किया गया था. उन्होंने कहा कि इस फैसले के मद्देनजर 'अब मुसलमानों के साथ विचार-विमर्श करने की जरूरत नहीं है.'
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार कार्रवाई
वीएचपी नेता ने कहा, "अब यह केवल सरकार पर निर्भर है कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार कार्रवाई करे, जिसमें कहा गया है कि अगर यह साबित हो जाता है कि बाबरी मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था और उसे ध्वस्त किया गया था, तो वे राम मंदिर के निर्माण के लिए हिंदुओं का समर्थन करेंगे और अगर यह साबित नहीं होती है कि वहां पहले मंदिर था, तो वह उसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करने के लिए मुसलमानों का पक्ष लेंगे."
डालमिया ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट की केवल उस गलती को ठीक करनी है, जिसमें उसने भूमि को तीन भागों में बांटकर तीन पक्षों को दे दिया था. इसलिए अब केवल सरकार को उस हलफनामे के आधार पर कार्रवाई करनी है, जिसे मुसलमानों ने दाखिल किया था." उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि यह तब हुआ था, जब कांग्रेस सत्ता में थी, इसलिए अगर सरकार आगे कदम बढ़ाती है, तो मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस भी इसपर आपत्ति नहीं जता सकती.