मेरठ: केन्द्रीय खुफिया विभाग की टीम ने मुजफ्फरनगर के कारोबारी को CGST की चोरी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा है. फर्जी ई-बिल के जरिये विकल्प जैन नाम के इस कारोबारी ने 94 करोड़ रूपये से ज्यादा का केन्द्रीय जीएसटी चोरी किया है. सेन्ट्रल जीएसटी और खुफिया विभाग की टीम कई महीनों से इस चोरी की जांच कर रही थी. जेल भेजा गया विकल्प जैन मुजफ्फरनगर नगरपालिका के वार्ड संख्या-34 से सभासद भी है.


सूत्रों के मुताबिक मुजफ्फरनगर के पटेलनगर निवासी विकल्प जैन का खुद का ट्रेडिंग का कारोबार है. शहर की कई फैक्ट्रियों से निकलने वाले माल का लेखाजोखा भी विकल्प के पास रहता है. खुद को ट्रेडर दिखाकर विकल्प जैन लंबे समय से माल को गंतव्य तक भेजने का काम करता था और इसके लिए वह फर्जी कंपनियों के फर्जी ई-बिल बनाता था. जीएसटी लागू होने से पहले विकल्प जैन व्यापार कर से जुड़े अभिलेख भी बनाया करता था. सेन्ट्रल जीएसटी के अफसरों की टीम विकल्प जैन पर लंबे वक्त से नजर रखे हुए थी.


टीम के अफसरों ने पाया कि लंबे वक्त से फर्जी ई-बिल के जरिये टैक्स चोरी की जा रही है. मामला बड़ा होने की वजह से केस की जांच केन्द्रीय खुफिया विभाग को सौंपी गयी. विभाग के जांच अफसरों ने विकल्प जैन के ट्रेडिंग से अभिलेखों की जांच की और करोड़ो रूपये की सीजीएसटी की चोरी पकड़ी. विकल्प जैन को अपनी सफाई में तथ्य रखने का मौका भी दिया गया.


लेकिन जब जैन अभिलेखों के मुताबिक वह खुद को साबित नहीं कर पाया तो विभाग ने विकल्प जैन के खिलाफ केस दर्ज करा कर उसे गिरफ्तार करा दिया. केन्द्रीय खुफिया विभाग की जांच में अब तक 94 करोड़ रूपये की सीजीएसटी की चोरी होने की पुष्टि हुई है.


गिरफ्तारी के बाद विकल्प जैन को मेरठ में स्पेशल सीजेएम की अदालत में पेश किया गया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने विकल्प जैन को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. लोक अभियोजन अधिकारी लक्ष्य कुमार ने बताया कि अब तक 98 करोड़ रूपये के इनवायस मिले है जो फर्जी कंपनियों के नाम से काटे गये है. 94 करोड़ रूपये की जीएसटी चोरी की पुष्टि की जा चुकी है.


वेस्ट यूपी में फर्जी फर्मों का बड़ा खेल


केन्द्रीय और राज्य जीएसटी के अफसरों ने पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के जिलों में फर्जी फर्मो के इनबायस के जरिये टैक्स चोरी की सूचनाओं पर जब काम करना शुरू किया तो बड़ी सफलता हाथ लगी है. वाणिज्य कर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा ने अब तक 50 से ज्यादा फर्जी कंपनियां पकड़ी हैं और इन कंपनियों के जरिये 400 करोड़ रूपये से ज्यादा कर चोरी का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है. अकेले मुजफ्फरनगर में अफसरों को केवल 2 फर्मो में डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी मिली है और लंबे समय से इनकी जांच जारी है. इन फर्मो में माल की खरीद और बिक्री में बड़ा अंतर सामने आया है.