मुजफ्फरनगर: देश भर में दलितों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रहीं हैं. पश्चिमी यूपी में एक बार फिर दलित से मारपीट का मामला सामने आया है. मुजफ्फरनगर के एक दलित परिवार का आरोप है कि सरकारी हैंडपंप पर पानी भरने की वजह से दबंगों ने सरेआम एक बुजुर्ग महिला को पीटा और जब बीच बचाव के लिए महिला की बेटी गई तो दबंगों ने उसके कपड़े फाड़ दिए.


मुजफ्फरनगर के भौकारेहड़ी गांव की रहने वाली एक दलित महिला ने कहा कि जब वे पानी भर रहीं थीं तो उसी वक्त गांव के ही राजा गोयल के परिवार के कुछ लोग वहां आ गए और दलित होने की बात कहकर उन्हें पीटने लगे. इसके बाद जब महिला की बेटी ने अपनी मां को बचाने की कोशिश की तो लोगों ने उसके साथ बद्तमीजी किया और उसके कपड़े फाड़ दिए. ये पहला ऐसा मामला नहीं है. यूपी में अंबेडकर की मूर्ति तोड़ने से लेकर दलितों को डराने-धमकाने और उन्हें प्रताणित करने के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है.


कुछ दिन पहले ही यूपी के फतेहपुर से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था. मात्र आम खाने की वजह से एक 64 वर्षीय दलित महिला की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. जिस बगीचे का आम दलित महिला ने खाया था उस बाग के मालिक का नाम शीलू सिंह है.


यूपी में होते हैं दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध


बता दें कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के हिसाब से साल 2016 में अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ अत्याचार के कुल 40,801 मामले सामने आए जिसमें से एससी/एसटी(अत्याचार का निवारण) एक्ट, 1989 के तहत कुल 5082 मामले दर्ज किए गए. इसका मतलब है कि अनुसूचित जाति के खिलाफ हर रोज लगभग 112 और हर घंटे लगभग पांच अपराध हो रहे हैं. अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में हुए हैं. साल 2016 में यूपी में एससी के खिलाफ अपराधों के 10,426 मामले दर्ज किए गए. यानि कि अनुसूचित जाति के खिलाफ एक चौथाई अपराध यूपी में हो रहे हैं जहां सूबे की आबादी का लगभग 21 प्रतिशत आबादी दलित (एससी) है.