नई दिल्ली: बिहार में एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम या चमकी बुखार से अबतक 135 बच्चों की जान जा चुकी है. आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज पहुंचे जहां मासूमों के परिजनों ने नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे लगाए. लोगों का गुस्सा सिर्फ नीतीश कुमार के खिलाफ नहीं है बल्कि उस लापरवाही और संवेदनहीनता के खिलाफ भी है जो सरकार और मंत्रियों की तरफ से दिखाई जा रही है.


राजधानी पटना जहां से नीतीश सुशासन का दावा नीतीश करते हैं उससे महज 90 किलोमीटर दूर मुजफ्फरपुर में सौ से ज्यादा बच्चों की जान चली गई लेकिन नीतीश कुमार की नींद नौ दिन बाद खुली. सिर्फ नीतीश कुमार ही नहीं राज्य से लेकर केंद्र सरकार के मंत्रियों तक का रवैया चौंकाता है.



बिहार का दौरा करके लौटे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी बच्चों की मौत के सवाल को अनसुना करके निकलते बने. हालांकि बाद में हर्षवर्धन ने कहा कि जो हो सकता है हम कर रहे हैं. वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे 100 से ज्यादा बच्चों की को नियति बता देते हैं. इतना ही नहीं मंत्री जी को बच्चों की मौत से ज्यादा भारत पाकिस्तान के मैच के स्कोर की चिंता सता रही थी. जब बिहार के स्वास्थ्य विभाग की रविवार 16 जून को बैठक चल रही थी उसमें मंगल पांडे क्रिकेट मैच का स्कोर पूछ रहे थे.



वहीं एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के बगल में बैठकर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री और बिहार के बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे ऊंघते नजर आए. बाद में तस्वीरें वायरल होने पर अश्विनी चौबे अपनी नींद को मंथन का नाम दे दिया. बच्चों की मौत पर नेताओं की संवेदनहीनता का सिलसिला यहीं नहीं रुकता. मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद की नजरों में बच्चों की मौत के पीछे ग्लोबल वार्मिंग वजह है.


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