मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: ब्रजेश ठाकुर समेत 11 को उम्रकैद की सजा, पढ़ें इस मामले में कब-कब क्या हुआ
कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 11 को उम्र कैद की सजा सुनाईये मामला 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट के बाद सामने आया
नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की एक कोर्ट ने कई नाबालिग लड़कियों का शारीरिक और यौन उत्पीड़न करने के दोषी ब्रजेश ठाकुर और 11 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ब्रजेश ठाकुर को उसके बाकी जीवन के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को 20 जनवरी को पॉक्सो कानून और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत रेप और गैंगेरप का दोषी ठहराया था.
इस मामले का पूरा घटना क्रम
फरवरी 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) ने बिहार के समाज कल्याण विभाग को ऑडिट रिपोर्ट सौंपी, जिसमें मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं को उजागर किया गया.
26 मई 2018: टीआईएसएस की रिपोर्ट बिहार के समाज कल्याण विभाग निदेशक को भेजी गई.
29 मई 2018:बिहार सरकार ने लड़कियों को बालिका गृह से अन्य आश्रय गृहों में भेजा.
31 मई 2018: जांच के लिए एसआईटी गठित, ब्रजेश ठाकुर सहित 11 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज.
14 जून 2018:बिहार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को सील किया, 46 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया.
एक अगस्त 2018: बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को समूचे राज्य में आश्रय गृहों की निगरानी के लिए पत्र लिखा, यौन उत्पीड़न के मामलों के फौरन निपटारे के लिए त्वरित अदालतें गठित करने का सुझाव दिया.
दो अगस्त 2018: उच्चतम न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लिया, केंद्र और बिहार सरकारों से जवाब मांगा.
सात अगस्त 2018: न्यायालय ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया को यौन उत्पीड़न की पीड़िता का किसी भी रूप में तस्वीर प्रकाशित या प्रसारित नहीं करने को कहा.
आठ अगस्त 2018: बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने इस घटना के मद्देनजर इस्तीफा दिया.
20 सितंबर 2018: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में मीडिया की रिपोर्टिंग पर पूर्ण पाबंदी नहीं.
चार अक्टूबर 2018: सीबीआई ने न्यायालय को बताया कि उसने बालिका गृह से लड़कियों के कंकाल बरामद किए हैं.
28 नवंबर 2018: न्यायालय ने बिहार बालिका गृह के 16 मामले सीबीआई को हस्तांतरित किए.
सात फरवरी 2019: न्यायालय ने आदेश दिया कि मामला बिहार से दिल्ली में साकेत जिला अदालत परिसर स्थित पॉक्सो अदालत को हस्तांतरित की जाए.
25 फरवरी 2019: जिला अदालत में सुनवाई शुरू हुई.
दो मार्च 2019: सीबीआई ने अदालत से कहा कि कई पीड़िता ने ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ गवाही दी है.
छह मार्च 2019: बिहार बाल कल्याण समिति ने आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने का दावा किया.
30 मार्च 2019: निचली अदालत ने 21 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए.
तीन मई 2019: सीबीआई ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि 11 लड़कियों की ब्रजेश ठाकुर, अन्य ने कथित तौर पर हत्या की.
छह मई 2019: न्यायालय ने सीबीआई को कथित हत्याओं की जांच तीन जून तक पूरी करने को कहा.
तीन जून 2019: न्यायालय ने सीबीआई को जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया.
12 सितंबर 2019: न्यायालय ने आठ लड़कियों को अपने परिवार के पास लौटने की इजाजत दी, बिहार सरकार से मदद करने को कहा.
30 सितंबर 2019: निचली अदालत ने आदेश सुरक्षित रखा.
14 नवंबर 2019: वकीलों की हड़ताल के चलते फैसला टला.
12 दिसंबर 2019: सुनवाई करने वाले न्यायाधीश के अवकाश पर रहने की वजह से फैसला फिर टला.
आठ जनवरी 2020: सीबीआई ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में लड़कियों की हत्या का कोई सबूत नहीं.
20 जनवरी 2020: अदालत ने ठाकुर और 18 अन्य को दोषी करार दिया, सजा की अवधि पर बहस के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की.
28 जनवरी 2020: अदालत ने सजा की अवधि पर सुनवाई टाली क्योंकि जिस न्यायाधीश ने सुनवाई की थी वह अवकाश पर थे.
चार फरवरी 2020: दिल्ली की अदालत ने सजा की अवधि पर आदेश सुरक्षित रखा.
11 फरवरी : अदालत ने ठाकुर और 11 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई.