मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की करीबी सहयोगी मधु सहित दो लोगों को सीबीआई ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. मधु की गिरफ्तारी के शीघ्र बाद सीबीआई ने डॉक्टर अश्विनी कुमार को गिरफ्तार किया है, जो लड़कियों को नशे का इंजेक्शन दिया करता था.
सीबीआई के समक्ष मंगलवार को पेश हुई मधु ने कहा कि आश्रयगृह में जो कुछ हुआ, उसकी उसे जानकारी नहीं थी. मधु ने कहा कि न तो वह इस मामले में आरोपी है और न ही उसके खिलाफ वारंट जारी किया था. लेकिन उसने सीबीआई अधिकारियों से मिलने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि जांचकर्ता कई बार उसके घर आए जिससे उसके परिवार वालों को असुविधा हुई.
मधु ने कहा, “मुझे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं तो उस आश्रय गृह से जुड़ी भी नहीं थी जो जांच के दायरे में है. मैं ब्रजेश ठाकुर के लिए काम जरूर करती थी लेकिन वहां क्या हुआ, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है.” सीबीआई के अधिकारी उसे यहां जिला अदालत परिसर के भीतर स्थित अपने कैंप कार्यालय ले गए. मधु के साथ उसके वकील भी मौजूद थे. उसने अपना चेहरा दुपट्टे से ढका हुआ था.
सीबीआई कार्यालय के भीतर जाने से पहले उसने कहा, “मैं सीबीआई को पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हूं. हालांकि मुझे किसी राज की जानकारी नहीं है. मैं यह नहीं कह सकती कि ब्रजेश ठाकुर किसी अवैध गतिविधि में शामिल था या नहीं. भले ही मैं उसके कुछ समाचारपत्रों संबंधी मामले देखती थी लेकिन मैं उन खबरों से इनकार करती हूं कि मैं मंत्रियों और दूसरे महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ संपर्क कर ब्रजेश ठाकुर के कारोबार को बढ़ावा देती थी.” नेपाल में छिपे होने की खबर पर हंसते हुए उसने कहा कि वह बिहार में ही थी और कहीं नहीं छिपी थी.
मधु ने कहा, “मेरे पास छिपने का कोई कारण नहीं था. मैंने सीबीआई के समक्ष अब पेश होने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि हाल ही में जांचकर्ता कई बार मेरे घर आए और इससे मेरे परिवार के सदस्यों को असुविधा हुई थी.” मधु को पहले शाइस्ता के नाम से जाना जाता था. वह नगर के चतुर्भुज स्थान इलाके की निवासी थी और कुछ साल पहले ब्रजेश ठाकुर के साथ संपर्क में आई थी जब वहां रेड लाइट इलाके से छुड़ाई गई लड़कियों के पुनर्वास के लिए एक अभियान चलाया गया था.
मीडिया की खबरों में दावा किया गया था कि वह ब्रजेश ठाकुर के स्वामित्व वाले सभी एनजीओ के कामों को देखती थी. इसमें ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ भी शामिल था जो आश्रय गृह चलाता था और जहां रहने वाली लड़कियों का यौन शोषण हुआ.
यह मामला पहली बार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को जमा की गई ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया. ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई.