पटना: मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के उजागर होने के बाद से ही फरार चल रही मिस्ट्री वुमन मधु आखिरकार CBI के हत्थे चढ़ चुकी है. मंगलवार को मधु ने खुद ही CBI के सामने सरेंडर कर दिया. मधु बालिका गृह कांड के आरोपी ब्रजेश ठाकुर की बेहद करीबी बताई जाती है. मधु से CBI की पूछताछ के बाद जांच एजेंसी ने अश्विनी कुमार नाम के शख्स को भी गिरफ्तार किया है जिसपर बालिका गृह की बच्चियों को नशे के इंजेक्शन देने का आरोप है.


आज CBI ने मधु और अश्विनी कुमार को पॉक्सो कोर्ट में पेश किया. छुट्टी होने की वजह से आज कोर्ट बंद था लेकिन पॉक्सो कोर्ट के जज ने अपने आवास पर CBI की याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों को 5 दिन की CBI रिमांड पर भेज दिया है. 26 नवम्बर को दोनों को फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा जहां इस बात पर फैसला होगा कि क्या इन दोनों की रिमांड बढ़ाई जाए या फिर इन्हें जेल भेज दिया जाए. फिलहाल अगले 5 दिन CBI इन दोनों से ही बालिका गृह कांड से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करेगी और बच्चियों के साथ हुए यौन अत्याचार की परत-दर-परत पड़ताल करेगी.


अश्विनी कुमार नाम के जिस शख्स को गिरफ्तार किया गया है वो खुद को डॉक्टर बताता था. लेकिन जब एबीपी न्यूज़ ने इस बाबत सवाल किया तो उसने साफ किया कि वो कोई डॉक्टर नहीं है और उसके पास डॉक्टरी की कोई डिग्री भी नहीं है. हालांकि उसने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया. अश्विनी कुमार ने दावा किया कि उसका बालिका गृह से कोई लेना-देना नहीं है. यहां तक कि वो कभी भी बालिका गृह नहीं गया. उसने दावा किया कि वो सिर्फ ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ के लिए HIV-AIDS का टारगेट इंटरवेंशन का काम करता जो करीब 2 साल तक चला और फरवरी 2012 में ही बंद हो चुका है.


वहीं इस कांड की मिस्ट्री वुमन मधु ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि वो पिछले पांच महीने से बिहार में ही थी, वो पुलिस या CBI की तरफ से किसी तरह की नोटिस-वारंट या फॉर्मल इनफार्मेशन का इंतज़ार कर रही थी. मधु के मुताबिक वो लगातार अखबार फॉलो कर रही थी. लेकिन CBI जिस तरह से उसके परिवार को परेशान कर रही थी उससे तंग आकर वो खुद ही CBI के सामने आ गई. मधु ने दावा किया कि उसका नाम किसी भी FIR में दर्ज नहीं है. बालिका गृह की किसी भी लड़की ने उसका नाम नहीं लिया और न ही वो किसी भी तरह से बालिका गृह से जुड़ी हुई थी. मधु ने कहा कि उसे विधिवत कानूनी तरीके से नहीं ढूंढा जा रहा था इसलिए वो सामने नहीं आ रही थी.


मधु ने आरोप लगाया कि उसे फंसाने के लिए किसी अंजान शख्स ने लेटर लिखा था जिसमें उसपर कुछ आरोप लगाए गए थे और उसी आधार पर उसपर कार्रवाई की जा रही है. मधु ने बताया कि उसे भरोसा दिया गया है कि उसे वो लेटर दिखाया जाएगा ताकि वो पहचान सके ये लेटर किसने लिखा होगा. मधु के मुताबिक 2009 में एक प्रोजेक्ट प्रपोजल अप्लाई हुआ था जिसमें उसका नाम ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ में बतौर प्रमोटर दे दिया गया था, जबकि वो उस एनजीओ की एग्जीक्यूटिव बॉडी में भी नहीं है.


हालांकि मधु ने स्वीकार किया कि वो पहले ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ के लिए एड्स कंट्रोल का काम करती थी. लेकिन साथ ही ये भी दावा किया कि अब उसका काम अलग होता है. मधु ने बताया कि वो ब्रजेश ठाकुर के उर्दू अखबार हालात-ए-बिहार के लिए आर्टिकल लिखती थी. इतना ही नहीं जब वो नवीं क्लास में थी तब से उनके लिए आर्टिकल लिखती रही है. मधु ने साफ कहा कि उसका बालिका गृह या ब्रजेश ठाकुर के घर आना-जाना नहीं था. हालांकि उसने स्वीकार किया कि वो ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ से जरूर जुड़ी हुई थी. वो एनजीओ में कागजी काम देखती थी. लेकिन मधु के मुताबिक ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ के अलावा वो और भी कई एनजीओ से जुड़ी हुई थी.


मधु से जब ये सवाल किया गया कि क्या बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण होता था तो मधु ने खुद को इससे अनजान बताया और कहा कि इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन अगर ऐसा कुछ हुआ है तो वो भी उसकी निंदा करती है.