नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर जिले के सरकार की तरफ से वित्तपोषित शेल्टर हाऊस में लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में बिहार सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस भेजा है. आयोग ने पाया कि अधिकारी इन बच्चियों की गरिमा का संरक्षण करने में बुरी तरह असफल रहे.
आयोग ने कहा कि एक बालिकागृह का मकसद लड़कियों को सुरक्षा और संरक्षण देना होता है. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि बालिकागृह ऐसे तत्वों के लिए उन गतिविधियों को अंजाम देने की जगह बन सकता है जो मानवीय गरिमा और महिलाओं के संयम के खिलाफ हैं.
बिहार के पुलिस महानिदेशक के एस द्विवेदी ने बताया कि बालिकागृह की 42 में से 29 लड़कियों की मेडिकल जांच में उनका यौन उत्पीड़न होने की पुष्टि हुई है. मानवाधिकार आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उसने मीडिया की एक खबर पर खुद संज्ञान लेते हुए बिहार के डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर उन्हें मामले की जांच करने और दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है.
समाज कल्याण विभाग के इन्सपेक्शन के तहत एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) इस बालिकागृह को चला रहा था जिसमें 44 लड़कियां रह रही थीं. कथित यौन उत्पीड़न के मामले में मुजफ्फरपुर जिले के बाल संरक्षण अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है. आयोग ने पाया कि मीडिया की खबरों की विषयवस्तु पीड़ित लड़कियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उठाती है.