मुजफ्फरपुर कांड का मुकदमा दिल्ली ट्रांसफर, जांच अधिकारी के हटने पर भड़के SC ने तलब किए आला अफसर
मुजफ्फरपुर और दूसरे शेल्टर होम के मामले की जांच की जांच की निगरानी कर रहे CBI के जॉइंट डायरेक्टर ए के शर्मा की नियुक्ति CRPF में कर दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बेहद सख्त रवैया अपनाया.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है. अब ये केस साकेत की विशेष POCSO कोर्ट में चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने में मामला निपटाने के निर्देश दिया है. शेल्टर होम में रहने वाली नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार के इस मामले में CBI 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर पहले ही पंजाब की पटियाला जेल में ट्रांसफर किया जा चुका है.
28 नवंबर को कोर्ट ने बिहार के 16 दूसरे आश्रय गृहों से भी आई शिकायतों की जांच CBI को सौंपी थी. आज कोर्ट ने सभी शेल्टर होम की बदहाली पर कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा, "अधिकारियों का रवैया अनाथ बच्चों के लिए उपेक्षा भरा है. हम जानना चाहते हैं कि आखिर सरकार किस तरह से काम कर रही है. दिल्ली और पटना की दूरी ज्यादा नहीं है. हम चीफ सेक्रेट्री को भी यहां खड़ा कर सकते हैं."
मुजफ्फरपुर और दूसरे शेल्टर होम के मामले की जांच की जांच की निगरानी कर रहे CBI के जॉइंट डायरेक्टर ए के शर्मा की नियुक्ति CRPF में कर दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बेहद सख्त रवैया अपनाया. 31 अक्टूबर और 28 नवंबर को कोर्ट ने साफ आदेश दिया था कि बिना उसकी मंजूरी लिए शर्मा को जांच से नहीं हटाया जाएगा.
कोर्ट ने CBI से इस बात की जानकारी मांगी कि उसके आदेश की जानकारी सरकार को दी गयी थी या नहीं. कोर्ट को ये बताया गया कि ऐसा नहीं किया गया था. इस पर मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कड़ी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, "हमारे आदेश की उपेक्षा की गई. ये अवमानना का साफ मामला है. उन अधिकारियों को भगवान बचाए जो इसके ज़िम्मेदार हैं."
कोर्ट ने CBI निदेशक ऋषि कुमार को उन सभी अधिकारियों के नाम देने को कहा है, जिनके टेबल से होकर ए के शर्मा की फाइल गुज़री. कोर्ट ने जनवरी में शर्मा के ट्रांसफर के वक्त CBI के इंचार्ज डायरेक्टर रहे नागेश्वर राव समेत इसकी मंजूरी प्रक्रिया में शामिल रहे सभी अधिकारियों को मंगलवार को पेश होने के लिए कहा है.