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मुजफ्फरपुर रेप कांड के बाद से ही फरार है ब्रजेश ठाकुर की सबसे बड़ी राजदार मधु

बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में ब्रजेश ठाकुर की करीबी मधु की तलाश लंबे समय से है, लेकिन अभी तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है.

पटना: मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर गिरफ़्तार है लेकिन ब्रजेश ठाकुर की सबसे बड़ी राज़दार अब भी फ़रार है. ब्रजेश ठाकुर की सबसे बड़ी राजदार का नाम मधु है, जो बालिका गृह कांड सामने आने के बाद से ही फ़रार है. वो कहां है इसकी जानकारी किसी को नहीं है. जांच एजेंसियों को उसकी तलाश है, लेकिन अभी तक उसको ढूंढ निकालने की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं.

बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में ब्रजेश ठाकुर की करीबी मधु की तलाश लंबे समय से है, लेकिन अभी तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है. मधु की तलाश में कई जगह पर छापेमारी भी हुई है. मधु के मिलने पर मामले में कई और राज खुल सकते हैं.

कौन है मधु? मधु वामा शक्ति वाहनी की मुखिया है, जिसका गठन ब्रजेश ठाकुर ने किया था. इसका काम मधु ही देख रही थी, क्योंकि ब्रजेश ठाकुर ने उसे संगठन चलाने की जिम्मेवारी दे रखी थी. ब्रजेश ठाकुर के संपर्क में मधु 17 साल पहले उस समय आई थी, जब मुजफ्फरपुर के चतुर्भुजस्थान में ‘ऑपरेशन उजाला’ चला था. इस ऑपरेशन को चलाने वाली ट्रेनी आइपीएस अधिकारी दीपिका सूरी थीं, जिनका नाम मुजफ्फरपुर के लोग अब भी लेते हैं. उन्होंने चतुर्भुजस्थान में सुधार का बड़ा काम किया था. उसी समय मोहल्ला सुधार समिति बनी थी, इसमें ब्रजेश ठाकुर और मधु भी शामिल थे. इसके बाद से ही दोनों एक-दूसरे को जानने लगे.

वामा शक्ति वाहिनी की ओर से कई तरह के सामाजिक कार्यक्रम समाज को दिखाने के लिए चलाए जाते थे, लेकिन आरोप है कि पर्दे के पीछे कुछ और ही होता था लेकिन जब तक मधु सामने नहीं आती है, तब तक इन आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाएगी. अब जांच एजेंसियों को मधु की जोर-शोर से तलाश है.

तिरहुत रेंज के डीआईजी सुनील कुमार सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि मधु एनजीओ के संचालक की बेहद ही क़रीबी है और हर जगह वो ब्रजेश ठाकुर के साथ ही रहती थी. लेकिन अभी वो फ़रार चल रही है और पुलिस को उसकी तलाश है.

ब्रजेश ठाकुर ने मधु को अपने एनजीओ में प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया ओर इसके माध्यम से 2010 में पहला टेंडर लिया. ये संस्था मुज़फ़्फ़रपुर में एड्स से रोकथाम करने और लोगों में इसके लिए जागरूकता फैलाने का काम लिया. शरुआत के दिनों में मधु ने अपने काम की बदौलत सोसायटी में अच्छी जगह बना ली. इसके के सेवा संकल्प संस्था को छह जगहों पर काम मिल गया. मुजफ्फरपुर में दो, दरभंगा में एक. समस्तीपुर में दो और बेतिया में एक काम मिला. सभी जगहों पर एनजीओ का काम धड़ल्ले से चलने लगा.

बालिका गृह कांड की जांच अब CBI के हवाले हो चुकी है. ऐसे में मधु नाम की ये मिस्ट्री CBI की जांच के रडार पर जरूर रहने वाली है. ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मधु की गिरफ़्तारी के बाद ब्रजेश ठाकुर के कई और काले कारनामों का ख़ुलासा हो.

बालिका यौन शोषण कांड के आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने पत्रकारिता की आड़ में एनजीओ का साम्राज्य खड़ा कर रखा था. एक तरफ अखबारों का कारोबार बढ़ा कर अपने बेटे और बेटी को स्थापित कर रहा था तो खुद एनजीओ के सहारे अपनी कमाई बढ़ाने में लगा था. 1987 में सेवा संकल्प एवं विकास समिति के नाम से एनजीओ की शुरुआत की. शुरु में इधर उधर हाथ पांव मारकर छोटे छोटे काम लिए पर बाद में अपने साथ मधु नाम की एक महिला को इस संस्था से जोड़ लिया. मधु के बारे में बताया गया कि ये खुद मुज़फ़्फ़रपुर की बदनाम गली चतर्भुज स्थान से निकली थी. इसे अपने साथ रखकर 2010 में पटना स्थित बिहार एड्स सोसायटी में अपनी पैठ बढ़ाई. मधु को अपने एनजीओ में प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया ओर इसके माध्यम से 2010 में पहला टेंडर लिया. ये संस्था मुज़फ़्फ़रपुर में एड्स से रोकथाम करने और लोगों में इसके लिए जागरूकता फैलाने का काम लिया. शरुआत के दिनों में मधु ने अपने काम की बदौलत सोसायटी में अच्छी जगह बना ली. इसके के सेवा संकल्प संस्था को 6 जगहों पर काम मिल गया. मुज़फ़्फ़रपुर में दो, दरभंगा में 1 समस्तीपुर में 2 और बेतिया में एक काम मिला. सभी जगहों पर एनजीओ का काम धड़ल्ले से चलने लगा. एबीपी न्यूज़ ने वो फाइल देखी है जिसमें इस संस्था के बारे में मोबाइल नंबर के साथ पूरी जानकारी है. इस संस्था में रमेश सचिव हैं जबकि ब्रजेश ठाकुर अपना नाम ब्रजेश कुमार के नाम से इस संस्था में चीफ फ़ंक्शनरी एक्सक्यूटिव डायरेक्टर हैं. सभी कागजातों में रमेश के दस्तखत हैं जबकि मधु प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. एड्स सोसायटी के दफ्तर में कैमरे पर इस बारे में कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है पर यहां के पदाधिकारियों ने बताया की इस दफ्तर में रमेश, ब्रजेश और मधु का आना जाना था. रमेश बतौर सचिव अपना हस्ताक्षर करता था. ज़्यादातर मधु ही एड्स सोसायटी में आती जाती थी. एनजीओ के बालिका गृह के कारनामों के बाद एड्स सोसायटी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर करुणा कुमारी ने सेवा संकल्प समिति को काली सूची में डाल दिया है. सीबीआई की जांच के घेरे में ब्रजेश ठाकुर का एनजीओ भी आएगा ऐसे में एड्स सोसायटी में भी ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ का बही खाता तैयार किया जा रहा है. एबीपी न्यूज़ के पास मिली जानकारी के मुताबिक ब्रजेश ठाकुर ने एड्स सोसायटी में तीन अलग अलग नाम में एनजीओ बनाकर अलग अलग ज़िलों में काम ले रखा था. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के लिए अलग अलग नाम थे. टी आई यानि टार्गेटेड इंटरवेंशन का काम शहरों में होता था. इस काम मे सेक्स वर्कर की मदद करना था. फ्री में एड्स के बचाव के समान उपलब्ध कराना, मेडिकल कैंप लगाना था या एड्स से पीड़ितों की जानकारी हासिल कर उनकी मदद करना.वहीं ग्रामीण इलाकों में इसे एल डब्लू एस यानि लिंक वर्कर स्किम चलाया जाना था. ग्रामीण इलाकों में जागरूकता और बचाव के काम करना था. इस एवज में ब्रजेश के एनजीओ को सालाना एक मोटी रकम मिलती थी. एबीपी न्यूज़ के पास पुख्ता जानकारी है. सिर्फ सेवा संकल्प संस्था को दरभंगा में 2012 से अबतक 80 लाख ला भुगतान हो चुका है. वहीं समस्तीपुर में एनजीओ को सिर्फ दो साल में यानी 16-17 और 17-18 में 46 लाख का भुगतान हुआ है. सोसायटी के मुताबिक सेवा संकल्प समिति के मुज़फ़्फ़रपुर के एक और समस्तीपुर में  संचालित एक एनजीओ को बन्द कर 2016 में बंद कर दिया गया था. छः अलग अलग जगह पर चल रहे एनजीओ में से दो अभी बन्द है
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