नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर महिला अल्पावास गृह (शेल्टर होम) में 29 लड़कियों से रेप मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हम निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन एक भ्रम का वातावरण बनाया जा रहा है. भ्रम का वातावरण नहीं रहे, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और प्रधान सचिव गृह को तत्काल इस सम्पूर्ण मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है.


इससे पहले कल लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अगर बिहार सरकार अनुशंसा करे तो केंद्र मामले की सीबीआई जांच के बारे में विचार करेगी. मुजफ्फपुर मामले की सुर्खियों में आने के बाद से विपक्षी दल लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रही थी.


विधानसभा और लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने प्रमुखता से मुजफ्फरपुर मामले को उठाया था. जिसके बाद नीतीश कुमार ने जांच की सिफारिश की है. कल ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहित कई विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बालिका गृह का दौरा किया था. तेजस्वी ने दावा किया था कि सरकार आरोपियों को बचाने में लगी है.


उन्होंने पूछा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पुलिस ने रिमांड पर लेने की कोशिश अब तक क्यों नहीं की, जबकि कहा जा रहा है कि वह पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. तेजस्वी ने कहा कि ठाकुर का एक साल का फोन कॉल डिटेल सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे सफेदपोश भी बेनकाब हो सकें.


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तेजस्वी ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर आज साइकिल मार्च का एलान किया. उन्होंने इसी बहाने नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा. साथ ही आरजेडी के विधायकों ने विधानसभा के बाहर पोस्टर लेकर नारेबाजी की.





कैसे सामने आया मामला?
मुजफ्फरपुर मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस की टीम ने बालिका गृह की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण का जिक्र किया. इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई. जांच में 29 लड़कियों के साथ रेप होने की पुष्टि हुई है. इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.


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