नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर में लड़कियों के साथ हुए कथित रेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सवत: संज्ञान लिया और बिहार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. अदालत ने दोनों ही सरकारों से विस्तृत जानकारी मांगी है. साथ ही शीर्ष अदालत ने मुजफ्फरपुर मामले में रेप पीड़िताओं का इंटरव्यू प्रसारित नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि उन्हें बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कथित रेप पीड़ितों की तस्वीरों का रूप बदलकर भी इलेक्ट्रानिक मीडिया पर प्रसारित नहीं किया जा सकता है. अदालत ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से भी सहायता मांगी है.


मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस मामला इस साल की शुरुआत में प्रकाश में आया था जब बिहार समाज कल्याण विभाग ने टीआईएसएस द्वारा किए गए सोशल ऑडिट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की. पूरे मामले की जांच सीबीआई कर रही है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 34 नाबालिग लड़कियों के साथ महीनों तक रेप किया गया. प्रशासन पर आरोप है कि रेप की रिपोर्ट आने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई.


 

आपको बता दें कि मुजफ्फपुर मामले को लेकर विपक्षी दल लगातार नीतीश सरकार पर निशाना साध रही है. आज वामदलों ने बिहार बंद बुलाया है. बंद का आरजेडी और कांग्रेस भी समर्थन कर रही है.


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राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर शेल्टर हाउस के संचालक ब्रजेश ठाकुर को बचाने का आरोप लगाया है. ठाकुर फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं.


तेजस्वी ने आज ट्वीट कर कहा, ''मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से मुजफ़्फरपुर बलात्कार कांड पर मुंह खुलवा कर रहूंगा. उनकी आपराधिक चुप्पी तुड़वा कर रहूंगा. उनकी कुंभकर्णी अंतरात्मा को जगा कर रहूंगा. उनकी फर्जी नैतिकता उजागर करके रहूंगा. उनका बनावटी मुखौटा उतार कर रहूंगा. चाहे जो समय लगे.''


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