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मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर का वैशाली में हुआ अंतिम संस्कार, गांव में पसरा है मातम
समीर कुमार मूल रूप से वैशाली जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के हिलालपुर गाँव के रहने वाले थे. सालों पहले समीर कुमार का परिवार वैशाली से मुज़फ़्फ़रपुर शिफ़्ट हो चुका था.
मुजफ्फरपुर: समीर कुमार मूल रूप से वैशाली जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के हिलालपुर गाँव के रहने वाले थे. सालों पहले समीर कुमार का परिवार वैशाली से मुज़फ़्फ़रपुर शिफ़्ट हो चुका था. मुज़फ़्फ़रपुर के मिठनपुरा थाना क्षेत्र के नंद विहार कालोनी में घर बनाकर समीर कुमार अपने परिवार के साथ रहते थे. इसी साल की शुरुआत में उनके पिता का देहांत हुआ था जिसके बाद घर में उनकी माँ, पत्नी और दो बेटे रह गए थे.
समीर कुमार के बड़े बेटे गुवाहाटी में नौकरी करते हैं जबकि छोटे बेटे दिल्ली में रहकर सिविल सर्विसेज़ की तैयारी कर रहे हैं. कल घटना के बाद पोस्टमार्टम होते ही परिजनों ने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए समीर कुमार का शव पैतृक गाँव ले आया क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो मुज़फ़्फ़रपुर में समीर कुमार के समर्थकों के बीच क्रोध भड़कने का डर बना रहता.
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वैशाली जिले के घाट पर समीर कुमार का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, घाट पर मौजूद समीर कुमार के भाई संदीप कुमार के मुताबिक़ परिवार को घटना का कोई कारण ही समझ नहीं आ रहा है. संदीप कुमार का दावा है कि समीर कुमार का कभी किसी से कोई विवाद नहीं हुआ और न ही कभी घर में इस तरह की कोई चर्चा हुई है. समीर कुमार काफ़ी सामाजिक और मिलनसार व्यक्ति थे, कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की कोशिश में थे.
समीर के भाई के मुताबिक पहले समीर कुमार को सुरक्षा मिली हुई थी लेकिन बाद में उसे हटा लिया गया. संदीप कुमार का आरोप है कि घटना के बाद से अब तक पुलिस का कोई अधिकारी उनसे मिलने तक नहीं आया.
बात करते- करते फफक पड़े समीर कुमार के भाई
बात करते-करते समीर कुमार के भाई भावुक हो गए, पुरानी बातें याद करते हुए उनकी आँखों में आँसू आ गए, कहा कि परिवार ख़त्म हो गया, बर्बाद हो गया. संदीप का कहना है कि समीर कुमार पूरे परिवार को साथ लेकर चलते थे, अपने भतीजे को भी अपने साथ मुज़फ़्फ़रपुर में रखकर पढ़ाई करा रहे थे. उनकी मांग है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कराए क्योंकि उन्होंने शव को हाजीपुर लाकर अपनी तरफ़ से प्रशासन की पूरी मदद की.
समीर कुमार के मामा राजेश कुमार का मानना है कि अगर समीर की किसी से कोई विवाद होता तो वो ख़ुद सतर्क रहते. मामा ने रोते- रोते कहा कि आज वो अपने भांजे की वजह से ही ज़िंदा है क्योंकि उन्होंने ही उनका इलाज कराया था.
परिवार में छाया है मातम
समीर कुमार के छोटे बेटे तुषार के मुताबिक़ वो दिल्ली में पढ़ाई करते हैं और बड़े बेटे तनूल्य गुवाहाटी में नौकरी करते हैं. समीर कुमार के दोनों बेटों के मुताबिक़ उन्हें पिता की मौत की ख़बर टीवी से ही मिली. बड़े बेटे के मुताबिक़ घटना से पहले दिन में कई बार उनकी पिता से बात हुई थी. बेटों का कहना है कि उनके पिता की किसी से कोई लड़ाई नहीं थी इसलिए किसी पर भी शक नहीं है. हिलालपुर गांव में उनके पैतृक घर पर सन्नाटा पसरा हुआ है, महिलाएं बेसुध पड़ी हुई हैं और बात करने की स्थिति में नहीं हैं.