इलाहाबाद: समाजवादी पार्टी के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद अतीक अहमद की मुश्किलें कम होने का नाम ले रही हैं. दो दिन पहले अतीक की गिरफ्तारी के बाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट इस बात से नाराज है कि जिस विवेचना अधिकारी ने दो महीने तक हीलाहवाली कर अतीक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी, उस आईओ यानी विवेचनाधिकारी को आगे अतीक से जुड़े शियाट्स एग्रीकल्चर डीम्ड यूनिवर्सिटी में मारपीट व गुंडागर्दी से जुड़े केस की विवेचना नहीं दी जा सकती.
यूपी के डीजीपी से मांगा एक तेज तर्रार विवेचनाधिकारी का नाम
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकारी वकील के मार्फत यूपी के डीजीपी से एक तेज तर्रार विवेचनाधिकारी का नाम मांगा है, ताकि अतीक अहमद व उनके समर्थकों द्वारा शियाट्स एग्रीकल्चर डीम्ड यूनिवर्सिटी में घुसकर तोड़फोड़ और मारपीट की घटना की जांच सही तरीके से करायी जा सके.
अदालत ने डीजीपी से कहा है कि वह ऐसे तेज तर्रार व ईमानदार विवेचनाधिकारी का नाम दे, जो निष्पक्षता के साथ मामले की विवेचना कर सके. अदालत ने डीजीपी को सिर्फ दो दिनों की मोहलत दी है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने शियाट्स के प्राक्टर रामकिशन सिंह की सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका पर दिया है.
यूनिवर्सिटी परिसर में घुसकर तोड़फोड़, लूट और मारपीट
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के बाहुबली नेता व फूलपुर सीट के पूर्व सांसद अतीक अहमद ने चौदह दिसम्बर को हथियारबंद पचास गुर्गों के साथ इलाहाबाद की शियाट्स डीम्ड यूनिवर्सिटी परिसर में घुसकर तोड़फोड़, लूट और मारपीट की. यूनिवर्सिटी ने नैनी थाने में इस घटना की एफआईआर दर्ज करायी थी. पुलिस ने दो आरोपी गिरफ्तार किए और शेष को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया कि अपराध की धारा 7 साल से कम की सजा वाली है.
हाईकोर्ट ने परिसर में जबरन घुसने को गंभीर माना और कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की. कोर्ट के दबाव के बाद अतीक अहमद स्वयं थाने में पहुंचे और उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. वह नैनी जेल में है. कोर्ट ने केस हिस्ट्री ब्यौरे के साथ मांगी हैं. मामले की अगली सुनवाई पंद्रह फरवरी को होगी.