पटना: बिहार विधान सभा में इस वक्त फोर्थ ग्रेड यानी ग्रुप डी के 163 पदों पर बहाली प्रक्रियाधीन है. बेरोजगारी का आलम यह है कि इन पदों के लिए लगभग सात लाख युवाओं ने अपना आवदेन दिया है. इंटरव्यू देकर निकल रहे युवाओं से जब बात की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. बिहार में बेरोजगारी का सच क्या है ये देखने-समझने को मिला.


बिहार विधानसभा में फोर्थ ग्रेड की नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले वैसे छात्रों से मुलाकात हुई जो बिहार के कई जिलों से आये हुए थे. इनमें साइंस ग्रेजुएट, आर्ट और मास्टर्स तक के छात्र शामिल थे. अभ्यर्थी सुबह से ही आकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. जो प्रक्रिया थी उसको वे पूरा कर रहे थे. सभी को उम्मीद थी कि शायद भाग्य साथ दे दे और इंटरव्यू अच्छे से निकल जाये. इस फोर्थ ग्रेड वेकेंसी में ऑफिस अटेंडेंट, कार्यालय परिचारी यानी चपरासी आदि के अलग-अलग पदों के लिए एकसाथ ही इंटरव्यू लिया जा रहा था. जिसमें जो फिट बैठे उसका उसी हिसाब से चयन किया जाएगा.


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बीएससी सेकेंड ईयर में पढ़ रहे विकास कुमार ने बताया कि जिस तरह से उनका इंटरव्यू गया है उन्हें विश्वास है कि सफलता जरूर हाथ लगेगी. ग्रेजुएट गुड्डू कुमार ने बताया कि इंटरव्यू में उनसे उनका क्वालिफिकेशन और कुछ जेनरल नॉलेज से सवाल पूछे गए.


मुंगेर से आये रामविलास कुमार ने बताया कि बेरोजगारी का मार यह है कि वे पढ़-लिख कर ग्रेजुएशन की. अब तक भटक रहे हैं और 30 साल से ऊपर उनकी उम्र हो गई है. उन्होंने कहा कि सरकार को भी ध्यान देना चाहिए कि हम जैसे बेरोजगारों के लिए वह और क्या कर सकती है.


दरभंगा के अजीत मिश्रा ने निराशा जताई कि देश में इतनी ज्यादा बेरोजगारी है कि हम फोर्थ ग्रेड ही क्या उससे नीचे के स्तर पर भी अगर बहाली आती है तो हम उसके लिए भी प्रयास करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने ये भी कहा कि बिहारीयों पर सरकारी नौकरी इस कदर हावी है कि फोर्थ ग्रेड के नीचे का भी अगर कोई मौक़ा हो तो उसके लिए भी हम तैयार रहते हैं.


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ज्यादातर विद्यार्थियों का ये मानना है कि बिहार में कोई कंपनी वगैरह नहीं होने से यहां रोजगार नहीं मिलता और नौजवानों को कमाने के लिए दिल्ली-मुंबई जाना पड़ता है. इसलिए वे चाहते हैं कि 30 साल के हो जाएं या 35 के, अगर बिहार में ही कोई सरकारी नौकरी मिल जाये तो उससे अच्छा उनके लिए कुछ नहीं.


नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017-18 में देश के जिन 11 राज्यों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही उनमें बिहार भी शामिल है. बिहार सरकार ने राज्य के युवाओं को शिक्षित एवं बेरोजगारी दूर करने के उद्देश्य से कौशल युवा कार्यक्रम, स्टूडेंट्स क्रेडिट कार्ड योजना और मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना शुरू की है. ये सभी योजना 2 अक्टूबर, 2016 से शुरू कर दी गई हैं. बिहार में बेरोजगारी के कई कारण हैं जिसमें शिक्षा की बुरी स्थिति और गरीबी शामिल है. इसके साथ रोजगार के अवसर बेहद कम हैं.


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